समेट कर वर्ष की चादर
दिसंबर घर जाने को तैयार
खट्टे-मीठे अनुभव की दे याद
नववर्ष से कराकर साक्षात्कार
अगले वर्ष फ़िर आने के लिए
दिसंबर घर जाने को तैयार
सर्द हवा चले होले होले
फूलों पर जमे ओस की बूंदें
कोहरे की देकर घनी सौगात
दिसंबर घर जाने को तैयार
गुनगुनी धूप मन को लुभाए
ठंडी हवाएं ठिठुरन बढ़ाए
आने वाला वर्ष हो ख़ास
लेकर हमसे फिर एक साल
दिसंबर घर जाने को तैयार
दिन छोटे हुए रातें हुईं लम्बी
बीत गई साल फ़िर से जल्दी
वक्त की कितनी तेज रफ्तार
दिसंबर घर जानेे को तैयार
***अनुराधा चौहान***
बहुत सुंदर प्रिय अनुराधा जी
ReplyDeleteसचमुच दिसंबर की विदाई की बेला आ गयी है | बहुत भावुक हो जाता है मन | कितनी मधुर स्मृतियाँ देकर जा रहा है ये जाता साल | सस्नेह --
सही कहा आपने बहुत बहुत आभार रेनू जी
Deleteबहुत सुन्दर भाव अनुराधा जी ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteवाह बहुत सुन्दर अनुराधा जी भाव भीनी विदाई की तैयारी दिसम्बर को और साल को ।
ReplyDeleteमधुर और अवांछित सभी यादों के साथ।
धन्यवाद सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत ही सुन्दर सखी 👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी
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