Tuesday, December 18, 2018

दिसंबर घर जाने को तैयार

 
समेट कर वर्ष की चादर 
दिसंबर घर जाने को तैयार
खट्टे-मीठे अनुभव की दे याद
नववर्ष से कराकर साक्षात्कार
अगले वर्ष फ़िर आने के लिए
दिसंबर घर जाने को तैयार
सर्द हवा चले होले होले
फूलों पर जमे ओस की बूंदें
कोहरे की देकर घनी सौगात
दिसंबर घर जाने को तैयार
गुनगुनी धूप मन को लुभाए
ठंडी हवाएं ठिठुरन बढ़ाए
आने वाला वर्ष हो ख़ास
लेकर हमसे फिर एक साल
दिसंबर घर जाने को तैयार
दिन छोटे हुए रातें हुईं लम्बी
बीत गई साल फ़िर से जल्दी
वक्त की कितनी तेज रफ्तार
दिसंबर घर जानेे को तैयार
***अनुराधा चौहान***

8 comments:

  1. बहुत सुंदर प्रिय अनुराधा जी
    सचमुच दिसंबर की विदाई की बेला आ गयी है | बहुत भावुक हो जाता है मन | कितनी मधुर स्मृतियाँ देकर जा रहा है ये जाता साल | सस्नेह --

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा आपने बहुत बहुत आभार रेनू जी

      Delete
  2. बहुत सुन्दर भाव अनुराधा जी ।

    ReplyDelete
  3. वाह बहुत सुन्दर अनुराधा जी भाव भीनी विदाई की तैयारी दिसम्बर को और साल को ।
    मधुर और अवांछित सभी यादों के साथ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

      Delete
  4. बहुत ही सुन्दर सखी 👌

    ReplyDelete