है अमर वो इतिहास पुराना
विश्व में गूंँज़ती ख्याति है
भारत का वह वीर पुत्र है
दुश्मन की कांपती छाती है
शूरवीर,दृढ़ और साहसी
राजपूत वह गौरवशाली
कर्तव्य देश हित सबसे पहले
शूरवीर वह सबसे हटकर
महाराणा प्रताप का जीवन संग्राम
युद्ध में मानी कभी न हार
वंशज थे राणा सांगा के,
हाथ में लिए अजेय तलवार
क्षत्रिय वंश के हक़ की खातिर
करते रहे सदा संग्राम
चित्तौड़गढ़ में आज भी उनकी
वीरता के गाए जाते गीत
क्रांति के थे मतवाले
मातृभूमि से रखते प्रीत
अकबर ने छल से अपनी
चालें चली कई बड़ी विकट
महाराणा प्रताप को झुका न पाया
चंगुल में अपने फंँसा न पाया
राजपूत की शान अनूठी
अकबर ने खाई थी मुंह की
हल्दी घाटी का युद्ध हुआ
प्रताप ने डाला डेरा था
अकबर की सेना ने उनको
चारों और से घेरा था
घनघोर छिड़ा था युद्ध वहांं
तीर और तलवारों से
आसमां से बारिश होती थी
बरछी और भालों की
पल में यहां पल में वहां
शत्रू भी चकराता था
हवा के जैसी तेजी थी
ऐसा था वह स्वामिभक्ति बड़ा
घोड़ा था प्रताप का वफादार चेतक
हर मुश्किल से टकराता था
इतिहास गवाही देता है
प्रताप की गौरवशाली गाथा का
युगों-युगों तक याद रहेगी
महाराणा प्रताप की अमर गाथा
व्यर्थ न जाया होती है
वीरों की मातृभूमि पर कुर्बानी
महाराणा प्रताप की वीरता के आगे
अकबर का भी शीश झुका
सदियांँ बीती बीत गए युग
प्रताप की वीरता के आगे
ऐसा वीर धरती पर और कोई कहांँ होगा!!
***अनुराधा चौहान***