Thursday, March 28, 2019

आँखों में आँसू

आँखों में आँसू मेरे
होंठों पर तेरा नाम लिए
विरहन मैं भटकती
मिलने की चाह लिए
तुझ संग जोड़ी प्रीत
मन हुआ बावरा सांवरे
मेरे तो गिरधर गोपाल
मैं न जानूं कोई दूजा नाम रे
तूने ने मेरी प्रीत न जानी
वन-वन फिरती मारी-मारी
ढूंढती हूँ तुम्हें ब्रज की गलियों में
पूछती हूँ पता तेरी सखियों से
धुन मुरली की सुनने को बैचेन जिया
काहे सताए सांवरे अब आ भी जा
मैं नहीं राधा-सी गोरी
मैं मीरा मन की अति भोली
भटक रही तेरी भक्त दीवानी
अँखियां मेरी हरी दर्शन की प्यासी
ठाट-बाट सब पीछे छोड़ा
गिरधर तुझसे नाता जोड़ा
गोकुल में ढूंढा मथुरा में ढूंढा
वृंदावन की कुंज गलियों में ढूंढा
बरसाने में बाट निहारी
दर्शन देदो अब गिरधारी
यमुना किनारे कदम की छैंया
थक कर बैठी मैं बंशी बजैया
आँखों में आँसू होंठों पर नाम तेरा
मेरे गिरधर गोपाल तुमसे नाता जोड़ा
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

Sunday, March 24, 2019

ज़िंदगी के खेल

कब चुपके से आकर
खड़ी हो जाती है ज़िंदगी
 मौत के किनारे पर
तब इंसान बेबस
 होकर रह जाता है
जाने वाला कब चुपचाप से
अंतिम सफर पर चल देता है
मौत के किनारे पर आकर
किसी को पता भी नहीं चलता है
यह ऐसा पड़ाव है ज़िंदगी का
जहाँ किसी अपने का साथ
सदा के लिए छूट जाता है
बस यादें जिंदा रह जाती हैं
ज़िंदगी फिर चल देती है
बीते पलों की गठरी खोल
यादों की परछाइयों के साथ
मुश्किल होता है बड़ा 
यह वक्त़ जीवन का
जब ज़िंदगी से रिश्तों की कड़ी
एक-एक कर बिखरने लगती है
यहीं इंसान मजबूर हो जाता है
चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता
अजब खेल है ज़िंदगी का भी
इंसान जब तक ज़िंदा है घर में है
दम तोड़ते ही शरीर बन जाता है
अजब ज़िंदगी तेरे गजब खेल
कहीं सुख कहीं दुःख
कहीं जीवन तो कहीं मौत से भेंट
जीवन नैया भवसागर में डोलती रहती है
किनारे को रहती है तलाशती 
किस्मत किस किनारे नैया लगादे
यह किसी को भी न खबर रहती
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

Saturday, March 16, 2019

होली (हाइकु)


१)
रंग फुहार
पिचकारी की धार
भींगे है तन
(२)
उड़ा गुलाल
फागुन सराबोर
होली के रंग
(३)
रंग उड़ाता
फागुन मनभाता
होली की धूम
(४)
फाग के गीत
गुझियों की मिठास
सखियां साथ
(५)
होली के रंग
फागुन बरसाता
द्वेष मिटाता
(६)
प्रीत में रंगा
मानव का जीवन
होली संदेश
***अनुराधा चौहान***©® स्वरचित ✍
चित्र गूगल से साभार

Monday, March 11, 2019

कर्म पर भरोसा

आँखों में उम्मीद है
चेहरे पर मुस्कान
पसीने से लथपथ 
स्वाभिमान की मुस्कान लिए
कर्मो पर है भरोसा
करती दिनभर मजदूरी
ढोती है ईंट,गारा
धूप में तोड़ती है पत्थर
माता है पत्नी है 
हर रूप में खरी है
गरीब है तो क्या हुआ
मुश्किलों से जूझती है
जीवन में दु:ख हो कितने भी
फिर भी  हिम्मत नहीं छोड़ती
धूप और बारिश में
बोझा सिर पर ढोती
सिर पर छत टपकती
तन पर फटी साड़ी
लगी रहती श्रम में
सुबह हो या दुपहरी
घर भी संभालना है
बच्चे भी पालना है
दिन भर बहाए पसीना
चंद रुपयों की चाह रखती
हर काम में खरी है
नारी यह अटल खड़ी
हौसले को अपने
कभी कम न होने देती
यह कर्मप्रधान नारी
कर्म पर भरोसा करती
***अनुराधा चौहान***

Friday, March 8, 2019

नारी शक्ति

आज सब बधाईयां दे रहे हैं सो हमने भी सबको बधाईयां देना शुरू कर दिया सब नारी की महिमा का गुणगान कर रहे सो हमने भी कर दिया पर नारी का धर्म भी निभाना है....
सो लग गए काम पर दिनचर्या वहीं कोई अनोखा 
अनुभव नहीं सुबह से निपटे है भाई अब दोपहर की 
बारी दोपहर बीती तो शाम की तैयारी। ज़िंदगी उसी ढर्रे पर चल रही है जिस पर चलती आई है और चलती रहेगी।
हर घर में नारी को लेकर अपनी अलग सोच है..
जो बदलेगी पर वक्त़ लगेगा नारी के विषय में सबका अपनी-अपनी डफ़ली अपना ही राग है।नारी अन्नपूर्णा है लक्ष्मी है दुर्गा है महाकाली है पर पहले पत्नी है माँ है बहन है बेटी है एक गृहणी है। तो बहनों आज अपने गुणों के बखान से खुश हो लो ।कल कोई नारी महिमा नहीं गाने वाला हमको ही अपना अस्तित्व बनाना है।🌹जय नारी शक्ति 🌹
नारी शक्ति है संसार है
ममता है दुलार है
अन्नपूर्णा है ज्वाला है
त्याग की मूरत है
मनमोहिनी सूरत है
अनुराधा चौहान
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

चित्र गूगल से साभार

Monday, March 4, 2019

शिवशंकर


जय शिव शंकर जय अविनाशी
देवों के देव है शिव कैलाशी
भुजंग धारी जय शिवशंकर
भस्म लपेटे महाकाल तुम
आदि‌ भी तुम अनंत भी तुम
कष्टों का सारे अंत भी तुम
सृष्टिकर्ता तुम्ही प्रलयंकर
नीलकण्ठ तुम ही शशिशेखर
प्रकाश तुम तुम ही अंधकार
महादेव तुम ही अर्द्धनारीश्वर
उमापति तुम तुम ही गंगाधर
त्रिपुरारी शिव भोले भंडारी
गिरिजापति जटाजूट धारी
जगकर्ता है भोले शुभकारी
त्रिनेत्र धारी तुम दुर्जन संहारी
हे विश्वेश्वर हे कैलाशी
शिव ही शक्ति शिव ही भक्ति
शिव-शक्ति से ही यह सृष्टि
महाकाल को प्रिय भस्म आरती
श्वेतांबर बाघंबर शिव अंगे
नंदी भृंगी भूतादिक शिव संगे
शिव शंभू शिव ज्योतिर्लिंगम्
तुमसे ही है धरती ओर अंबर
शिव की भक्ति में सब मस्त मगन
शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर
औघड़ दानी जय शिवशंकर
बिल्व पत्र प्रिय भांग,धतूरा
भस्मधारी धरे रूप भयंकर
भोले बाबा मन के कोमल
कृपा करो हे कृपा निधाना
देवों में महादेव है निराला
कैलाशवासी मेरा बाबा भोला
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार