जनम लियो नंदलाला,
गोकुल में धूम मची।
सांवला सलोना गोपाला,
यशोमती मैया मुख चूम रही।
नन्हे हाथों में पहन कंगना,
घनश्याम खेलें नंद के अंगना।
ढुमक-ढुमक चले पहन पैंजनी,
रत्न जड़ित बंधी कमर करधनी।
सांवला सलोना गोपाला,
यशोमती मैया मुख चूम रही।
गले पहन माल बैजयंती,
तोड़न लागे माखन मटकी।
भोली सूरत कर माखन चोरी,
कहें मैया से नहीं मटकी फोड़ी।
सांवला सलोना गोपाला,
यशोमती मैया मुख चूम रही।
नटवर नागर कृष्ण कन्हैया,
नाच नचाएं बंशी बजैया।
बंशी की धुन पर झूमते-गाते,
सबके मन को कृष्ण रिझाए।
सांवला सलोना गोपाला,
यशोमती मैया मुख चूम रही।
नीलवर्ण पीताम्बर धारी,
रास रचाएं गोवर्धन धारी।
झूमे ब्रज झूमे बरसाना,
बड़ा नटखट नंद का लाला।
सांवला सलोना गोपाला,
यशोमती मैया मुख चूम रही।
***अनुराधा चौहान***
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