मन के भाव लिखती हूँ,कविता लिखती हूँ,कहानी लिखती हूँ,यह भाव है मेरे मन के,अपनी मन की जुबानी लिखती हूँ।
अनुराधा चौहान
Thursday, September 27, 2018
परमात्मा
क्यों रोकर खोई जाए
जीने को मिली जिंदगी
मिले न मिले कोई साथी
इसका न करो गम कोई
जितना भर सकते हो
भर लो जीवन में रंग
कोई साथ हो या न हो
परमात्मा तो है संग
***अनुराधा चौहान***
वाह सुंदर बात कोई साथ ना हो परमात्मा तो हैं। या यूं कह लो ……… तूं अकेला कब है तेरे साथ तेरा आत्म गौरव है तूं अकेला कब है तेरे साथ तेरी हिम्मत है तूं अकेला कब है तेरे साथ तेरा आत्म बल है बादलों मे जो राह बना ले तूं ऐसा सौर्मंडल है ।
वाह सुंदर बात कोई साथ ना हो परमात्मा तो हैं।
ReplyDeleteया यूं कह लो ………
तूं अकेला कब है
तेरे साथ तेरा आत्म गौरव है
तूं अकेला कब है
तेरे साथ तेरी हिम्मत है
तूं अकेला कब है
तेरे साथ तेरा आत्म बल है
बादलों मे जो राह बना ले
तूं ऐसा सौर्मंडल है ।
बेहतरीन रचना सखी
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