Saturday, September 29, 2018

मौके नहीं मिलते

बातें जो दिल में है कह दो जरा
कहीं ज़िंदगी की शाम न ढ़ल जाए
कर लो कुछ मुलाकातें देर ना कर
गिले-शिकवे भुला दो गले लग कर
जिंदगी बार-बार धोखे नहीं देती
खुशियों पाने के रोज मौके नहीं देती
हर शख्स यहाँ धोखेबाज नहीं
एतबार करके देखिए तो सही
ज़िंदगी की हकीकत को पहचानिए जरा
गुजर गया वक़्त फिर नहीं आए लौटकर
नाज़ुक कांँच से यहाँ रिश्ते हैं सभी
टूट कर बिखर गए तो जुड़ते ही नहीं
कदम फूंक-फूंक कर रखो चाहें कितने
हर कदम पर मिलेंगे लोगों के मिजाज बदले
आजमा कर हर शख्स को देखना है जरूरी
ज़िंदगी नहीं चलती हर शख्स से रख दूरी
हर किसी शख्स से यहाँ धोखे नहीं मिलते
ज़िंदगी जीने के बार-बार मौके नहीं मिलते
***अनुराधा चौहान***

हायकु (जिंदगी)

चित्र गूगल से साभार
      (१)
जिंदगी खेल
दुनिया है सर्कस
जोकर मनु

       (२)
सुन आवाज़
जिंदगी सरगम
मौत विराम

     (३)
जीवन कश्ती
डूबती-उतरती
आशा की नदी

      (४)
बिबस मनु
बुढ़ापा असहाय
मांगता मृत्यु

     (५)
जीवन सत्य
कठिनाई से भरा
मज़िल पथ
***अनुराधा चौहान***

हायकु ( विराम )

 
ढलता सुर्य
बढ़ता अंधियारा
दिन विराम
 
युद्ध विराम
दशानन का अंत
जय श्री राम
 
अयोध्या लौटे
वनवास विराम
सीता के साथ

***अनुराधा चौहान*** 

Friday, September 28, 2018

कड़वे बोल


मत बोलो कड़वे बोल
यह बहुत नुकीले होते हैं
आंखों से नहीं दिखते
पर जख्म गहरे होते हैं
     अनुराधा चौहान

वर्ण पिरामिड (शहीद भगत सिंह )


थे
शेर
शहीद
सरदार
भगतसिंह
आजादी के थे
मतवाले महान

हे
तुम्हें
नमन
कोटि-कोटि
शीश झुकाते
वतन की शान
शहीदे ए आजम

***अनुराधा चौहान ***
प्रथम प्रयास वर्ण पिरामिड

Thursday, September 27, 2018

परमात्मा


क्यों रोकर खोई जाए
जीने को मिली जिंदगी
मिले न मिले कोई साथी
इसका न करो गम कोई
जितना भर सकते हो
भर लो जीवन में रंग
कोई साथ हो या न हो
परमात्मा तो है संग
***अनुराधा चौहान***

रिश्ते


शाख से टूट कर पत्ते नहीं जुड़ते

बिखर गए रिश्ते फिर नहीं संवरते

जी लो रिश्तों में जब तक है जिंदगी

चुप रहने से दिलों के फासले नहीं मिटते

अनुराधा (अनु )

Wednesday, September 26, 2018

मुलाकात


रात ख्बावों में उनसे मुलाकात हो गई

पहले जरा ठिठके फिर बात हो गई

इरादा तो कुछ कदम साथ चलने किया

मगर साथ चलते कि सुबह हो गई

     अनुराधा (अनु )

आगमन

कब होगा
आगमन मेघों तुम्हारा
तुम बिन तरसे
जीवन हमारा
बहती है आंखों से
असुंअन की धारा
करो आगमन
मेघों अब तुम
तपन मिटा कर
करो सुखमय जीवन
अनुराधा चौहान 

मौत महबूबा


शनै शनै बढ़ती उमर के
किस पड़ाव पर मिले खड़ी
मौत महबूबा है ऐसी
साथ न छोड़ें कभी

       अनुराधा (। अनु )

Tuesday, September 25, 2018

मन की तृष्णा

मेरे मन की तृष्णा
मुझको डुबो गई
यह यादें तेरी
दिल में मेरे
खंजर चुभो गई
तृष्णाएं मेरे मन की
कैसे बुझाऊं मैं
जितना भुलाऊं
तुझको उतनी
टूट जाऊं मैं
इतना ही था
शायद तेरे मेरे
साथ का बंधन
तूझे भूलने की
खातिर खुद
को भुलाऊं मैं
अनुराधा (अनु )

शुभ संध्या

लो सांझ ढल गई
रात ने अंगड़ाई ली
सूर्य भी प्रकाश लेकर
चल दिया अपनी गली
         अनुराधा (अनु )

Monday, September 24, 2018

सुप्रभात

सूरज की चंचल किरणों ने
डाला धरती पर अपना डेरा
रात भी चल दी सफर पर
समेट कर अपना बसेरा
डाली डाली चिड़िया चहकी
वन उपवन में खुशबू महकी
चली ठंडी पवन पुरवाई
देखो भोर सुहानी आई
धरती ने छोड़ा शबनमी आवरण
जीवन ने भी शुरू किया विचरण
ली ऊषा ने अंगड़ाई
लो भोर सुहानी आई
चटकती कलियां खिलते फूल
होती उन पर भंवरोें की गूंज
तितलियों की बारात है आई
देखो भोर सुहानी आई
सुर्य देव का रथ है आया
रश्मियाँ अपने साथ लाया
प्रकाशित हो वसुंधरा इठलाई
देखो भोर सुहानी आई
        ***अनुराधा चौहान***
   

आईना देखती हूं

आईना देखती हूं इक अक्स नजर आता है
दिल में छुपा इक शख्स नजर आता है
                     अनुराधा चौहान


चित्र गूगल से साभार

रात के मीत


रात में जागे थे रात में ही खो गए

यह मेरे ख्बाव थे जागते ही सो गए

रात भर सैर की सुबह घर हो लिए

रात के मीत थे रात के ही हो लिए

                 अनुराधा चौहान

दर्द

समंदर अपनी लहरों से कह दो न करें शोर है
तूफान मेरे अंदर भी उठा बहुत जोर है
गर बहने लगा आंसुओं में दर्द यह सारा
सैलाब में आके बह न जाए कहीं अस्तित्व तुम्हारा
                              अनुराधा चौहान