Tuesday, March 2, 2021

देशभक्त 'पगी' की कहानी


आप सभी को पढ़कर आश्चर्य तो होगा कि भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपनी एक बॉर्डर पोस्ट का नामकरण एक आम भारतीय नागरिक के नाम पर किया है..!पर यह बात बिल्कुल सत्य है।  सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने अपनी पोस्ट का नाम जिस आम व्यक्ति के नाम पर रखा,वह आम आदमी थे रणछोड दास रेबारी..!

उत्तर गुजरात के सुईगांव अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र की एक बॉर्डर पोस्ट को रणछोड़दास रेबारी का नाम दिया गया है।बीएसएफ के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि किसी आम आदमी के नाम पर किसी पोस्ट का नाम रखा गया है। इतना ही नहीं, बीएसएफ उस पोस्ट पर उनकी एक प्रतिमा भी लगाने की तैयारी कर रही है।

अब आपको रणछोड़ दास रेबारी जी के बारे में भी बता देते हैं।रणछोड़ दास अविभाजित भारत के पेथापुर गथडो गाँव में रहते थे।भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पेथापुर गथड़ो पाकिस्तान में चला गया है। 

रणछोड़ दास जी के पिताजी पशुपालन तथा ऊँट चराने का काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे।रणछोड़ दास भी बचपन से ही पिता के साथ ऊँटो पर बैठना, ऊँट को चराना, ऊँटनियों का दूध दुहना, भेड़े चराना जैसे पशुपालन के कार्य सीखने लगे थे।

रणछोड़दास जी के हृदय में बचपन से ही देशप्रेम की भावना कूट -कूट कर भरी थी।उन्हें यह संस्कार अपने पिताजी से विरासत मिले थे। एक दिन पाकिस्तानी सैनिकों की प्रताड़ना से तंग आकर रणछोड़ दास जी अपने देश बनासकांठा (गुजरात) में जाकर बस गए।

विभाजन के बाद से ही भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच स्थिति हमेशा तनावपूर्ण  बनी रहती थी।सीमा पर बढ़ते इस तनाव के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच सन 1965 में युद्ध जैसी स्थिति बन गयी और दोनों सेनाएँ एक-दूसरे के विरुद्ध आमने-सामने खड़ी हो गयी हैं।

पाकिस्तानी सेना ने 1965 में भारत के कच्छ सीमा स्थित विद्याकोट पोस्ट पर कब्जा कर लिया। इस बात को लेकर शुरू हुई जंग में हमारे सौ सैनिक शहीद हो गए थे। पाकिस्तानी सेना का मुकाबला करने के लिए सेना की दूसरी टुकड़ी को तीन दिन में छारकोट पहुँचना था।

भारतीय सेना को रेगिस्तानी रास्तों की जानकारी नही थी और ऊपर से पाकिस्तानी सेना वहाँ पहले से ही तैनात थी।छारकोट पहुँचना भारतीय सेना के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा था।तब इस संकट की घड़ी में रेगिस्तान के चप्पे-चप्पे से वाकिफ रणछोड़ दास रेबारी जी ने भारतीय सेना की बहुत बड़ी मदद की और पूरी सेना को तय समय से 12 घंटे पहले मंज़िल तक पहुँचा दिया था।

रणछोड़ दास जी ने सेना के संग रहकर रेगिस्तानी इलाकों में न सिर्फ भारतीय सेना मार्गदर्शन किया बल्कि उन्होंने 1200 पाकिस्तानी सैनिकों के छुपने के स्थान की जानकारी भी भारतीय सेना तक पहुँचाकर सेना की सहायता की थी।

रणछोड़ दास रेबारी ने बहुत ही गुप्त तरीके से इस काम को अंजाम दिया था।युद्ध के समय रेबारी जी बोरियाबेट से ऊँट पर सवार हो पाकिस्तान की ओर गए और घोरा क्षेत्र में छुपी पाकिस्तानी सेना के ठिकानों की जानकारी लेकर लौटे।पाकिस्तानी सेना को उन्होंने इस बात की जरा सी भी भनक तक नहीं लगने दी।

रणछोड़ दास जी पाकिस्तान में रह रहे रिश्तेदारों तथा आस-पास के ग्रामीणों से पाकिस्तानी सेना की खोज-खबर निकाल कर सेना तक पहुँचाते रहे। उनके सहयोग के कारण ही हमारी सेना पाकिस्तानी सेना के एक बड़े हमले की साजिश को नाकाम करती रही।

1971 के युद्ध में सेना के मार्गदर्शन के साथ साथ अग्रिम मोर्चे में गोला-बारूद खत्म होने पर  रणछोड़ दास जी अपने ऊँटों के जरिए से भारतीय सेना को गोला-बारूद तथा भोजन सामग्री पहुँचाने में मदद करते रहे।

रणछोड़ दास जी के सहयोग और भारतीय सैनिकों की वीरता ने युद्ध में पाकिस्तानी सेना के दाँत खट्टे कर दिए थे‌।पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के  आगे अपने घुटने टेक दिए। इस तरह युद्ध में भारत की विजय हुई और भारतीय सेना ने विजयी परचम फहरा दिया । 

रणछोड़ दास रेबारी जी को उनके सहयोग और देशभक्ति की भावना को देखते हुए 58 वर्ष की आयु में बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक वनराज सिंह झाला ने उन्हें पुलिस के मार्गदर्शक के रूप में रख लिया था क्योंकि रणछोड़ दास जी रेगिस्तान के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे।वह ऊँट के पैरों के निशान देखकर यह बता देते थे कि उस पर कितने आदमी सवार थे और इंसान के पैरों के निशान देख कर वजन से लेकर उम्र तक बता देते थे।यहाँ तक कि निशान कितनी देर पहले का है, और वह कितनी दूर तक गया होगा?इस सबका सटीक आंकलन किया करते थे।

अपनी इसी विलक्षण प्रतिभा के कारण रणछोड़ दास'पगी' के नाम से मशहूर हो गए थे।'पगी' यानी रास्ता दिखाने वाला।सेना को युद्ध के समय रास्ता दिखाने और मार्गदर्शन करने के कारण ही भारतीय जनरल मानेक शॉ रणछोड़ दास को "पगी" के नाम से पुकारते थे।

रणछोड़ दास रेबारी के देश की सेवा और समर्पण की भावना के कारण उन्हें जनरल मानेक शॉ द्वारा भारतीय सेना के मार्गदर्शक के रूप में "पगी" के पद पर नियुक्त कर लिया और रणछोड़ "पगी" के रूप में पुकारे जाने लगे ।भारतीय सेना मदद के कारण रणछोड़ दास जी जनरल मानेकशॉ के दिल के बेहद करीब हो गए थे। 
मानेकशॉ बहुत कम लोगों को अपने साथ डिनर पर आमंत्रित करते थे।एक बार मानेकशॉ जी ने उन्हें डिनर पर आमंत्रित किया।रणछोड़ दास'पगी' के वे बहुत दीवाने थे।उन्होंने रणछोड़ दास जी को लाने के लिए एक हेलीकाप्टर भी भेजा।

हेलीकॉप्टर जब रणछोड़ दास को लेकर उड़ान भरने लगा तो रणछोड़ दास को याद आया कि वे अपनी थैली नीचे ही भूल गए हैं। उनके कहने पर हेलिकॉप्टर को पुनः नीचे उतरवाया गया और फिर थैली लेकर वापस हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी। सुरक्षा नियमों के चलते थैली देखी गई तो उस थैली में दो रोटी,एक प्याज तथा बेसन का एक पकवान था।जिसे जर्नल मानेक शॉ को बड़े चाव से खाते देख सब दंग रह गए ।

अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में भी मानेक शॉ रणछोड़ दास जी को नही भूले थे।वे अक्सर चेन्नई के वेलिंग्टन अस्पताल में बार-बार "पगी" का नाम लेते रहते थे।डॉक्टर के पूछने पर जनरल मानेकशॉ ने उन्हें रणछोड़ दास रेबारी जी की पूरी कहानी सुनाई, जिसे सुनकर सभी डॉक्टर्स अचंभित रह गए।सन 2008 में 27 जून को मानेक शॉ का निधन हो गया। 

रणछोड़ दास जी की राष्ट्र के प्रति अटल भक्ति तथा समर्पण के भाव के कारण उनको राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा गया।इसके अलावा रणछोड़ जी को सेना के वीरता पुरुस्कार सहित अनेक पुरुस्कार प्रदान किये गए ।सन् 2009 में रणछोड़ दास जी ने भी सेना से ‘स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति’ ले ली थी।

क्या आप जानते हैं..? सेवानिवृत्ति के समय रणछोड़ दास 'पगी' की उम्र 108 वर्ष थी।यह सुनकर भी आप सभी को आश्चर्य हो रहा होगा.?पर यही सत्य है.!
108 वर्ष की उम्र में रणछोड़ दास जी ने अपनी स्वेच्छा से 'सेवानिवृत्ति' ली,और सन् 2013 में 112 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया‌।

रणछोड़ दास जी भारत में एक शरणार्थी की तरह आये थे,लेकिन अपनी देशभक्ति, वीरता, बहादुरी, त्याग, समर्पण, शालीनता के कारण भारतीय इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गए तथा भारतीय समाज पर अपनी अमिट छाप छोड़ गए।

रणछोड़ दास जी के जीवन से जुड़ी जानकारियाँ हम सभी को देश के प्रति प्रेम और समाज की सेवा करने को प्रेरित करती हैं।रणछोड़ दास जी अंतिम समय तक सादगी,शालीनता,जीवनयापन करते रहे।आज भी काफी लोग इतने बड़े देशभक्त रणछोड़ दास रेबारी जी को नहीं जानते। देश के इस सच्चे भक्त को मेरा शत् शत् नमन,जय हिन्द।
***अनुराधा चौहान*** ✍️

चित्र गूगल से साभार
रणछोड़ दास रेबारी जी के बारे में जानकारी 'गूगल'स्रोत' से इकट्ठा की गई हैं।