Tuesday, September 22, 2020

नन्ही लिसिप्रिया


मणिपुर के बशिकहांग की 8 साल की लिसीप्रिया कंगुजम दुनिया की सबसे कम उम्र की क्लाइमेट चेंज एक्टिविस्ट हैं।
आठ साल की लिसिप्रिया ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज बुलंद कर दुनिया को नींद से झकझोरा है।मणिपुर की इस नन्ही पर्यावरण कार्यकर्ता ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सीओपी25 जलवायु शिखर सम्मेलन में अपनी बात रख वैश्विक नेताओं से अपनी धरती और उन जैसे मासूमों के भविष्य को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाने की गुहार लगाई।
लिसिप्रिया अपने भाषण में कहती है, सभी वैश्विक नेताओं से मेरा निवेदन है कि पर्यावरण को बचाने के लिए अति आवश्यक कदम उठाने का समय आ गया है।यह वास्तविक क्लाइमेट इमरजेंसी का समय है हम सभी को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।इतनी छोटी उम्र में इतने अहम मसले पर प्रभावशाली तरीके से अपनी बात रखने के कारण लिसिप्रिया स्पेन के अखबारों की सुर्खियाँ बनी हैं।
लिसीप्रिया को वर्ष 2019 में उन्होंने डॉ A.P.J. अब्दुल कलाम चिल्ड्रन अवॉर्ड, विश्व बाल शांति पुरस्कार और भारत शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
लिसिप्रिया अब तक 21 देशों का दौरा कर चुकी हैं और जलवायु परिवर्तन मसले पर विविध सम्मेलनों में अपनी बात रख चुकी हैं। वह दुनिया में सबसे कम उम्र की पर्यावरण कार्यकर्ता बताई जा रही हैं।
महज छह साल की उम्र में लिसिप्रिया को 2018 में मंगोलिया में आपदा मसले पर हुए मंत्री स्तरीय शिखर सम्मेलन में बोलने का अवसर मिला था।वो कहती है कि उस सम्मेलन के बाद उनकी जिंदगी बदल गई।
लिसिप्रिया कहती है कि मैं जब भी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप,सुनामी व बाढ़ आदि की वजह से निर्दोष लोगों को मरते हुए देखती हूँ तो भयभीत हो जाती हूँ। छोटे-छोटे बच्चों को अपने माता-पिता से बिछड़ते देख मेरा दिल भर आता है।मैं समाज के जिम्मेदार लोगों से आग्रह करती हूँ कि वो दिल-दिमाग से पर्यावरण असंतुलन के प्रभावों को कम करने के लिये प्रयास करें ताकि हम एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकें।
मंगोलिया से लौटने के बाद लिसिप्रिया ने पिता की मदद से 'द चाइल्ड मूवमेंट' नामक संगठन बनाया। वह इस संगठन के जरिये वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाने की अपील करती हैं।लिसिप्रिया के पिता केके सिंह कहते हैं,मेरी बेटी की बातों को सुनकर कोई यह अनुमान नहीं कर पाता कि वो अभी आठ साल की है‌।
लिसिप्रिया का जन्म इंफाल में हुआ,लेकिन वह अपने इस कार्य के कारण पूरे समय शहर से बाहर रहती हैं।वह ज्यादातर दिल्ली और भुवनेश्वर में रहती हैं।जलवायु परिवर्तन मसले पर अपने जुनून के चलते वह स्कूल नहीं जा पाती थीं।इस कारण उसने फरवरी में स्कूल छोड़ दिया। पूरे जी- जान से अपने कार्य में जुट गई।
लिसिप्रिया ने एपीएसी क्षेत्र के बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हुए 140 देशों के नुमाइंदों और तीन हजार प्रतिनिधियों को संबोधित किया।तब उसके आने-जाने की खबर आई-गई हो गई किसी ने उस पर गौर नहीं किया।
उसने देश का ध्यान तब खींचा जब वह 21 जून को हाथ में पर्यावरण संरक्षण के नारे लिखी तख्ती लिये संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करती नजर आईं।लिसिप्रिया जून महीने में संसद भवन के पास तख्ती लेकर पहुंची थीं।तख्ती पर लिखे नारों के जरिये उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी आग्रह किया।
संसद भवन के बाहर तख्ती लिये लिसिप्रिया कहती हैं,"प्रिय मोदी जी एवं सभी सांसद जन, जलवायु परिवर्तन के प्रति कानून बनाकर अपनी सजगता दिखाएं। प्रतिदिन समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।धरती निरंतर गर्म हो रही है।हम सभी को भविष्य बचाने के लिये जल्दी ही समस्याओं की जड़ पर जल्दी ध्यान देना होगा।आप सभी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी कानून बनाकर हमारे भविष्य को बचा लीजिए।
लिसिप्रिया कहती है कि पर्यावरण असंतुलन के कारण ही हमें कई बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। हमें भी इस विषय पर ध्यान देना होगा।
वृक्ष लगाओ,जीवन सींचो यह बात बड़े-बुजुर्ग ऐसे ही नहीं कहते थे।लिसिप्रिया की जितनी उम्र नहीं उससे कई गुना ज्यादा वृक्ष लगा चुकी है।
वो अपने  ट्वीटर पर लिखती हैं, ‘मैं अभी 3,040 दिनों की हूँ यानी कि उम्र 8 साल, 4 महीने, 1 दिन की। और अभी तक मैंने 51,000 से ज्यादा पेड़ लगाए हैं यानी कि प्रतिदिन के सोलह वृक्षों का रोपण किया हैं ।
नन्ही लिसिप्रिया की सक्रियता को देख एक आश्चर्य होता है कि खेलने-खाने की नन्ही सी उम्र में वह दुनिया भर की फिक्र लिये घूमती रहती है।
इस उम्र में बच्चों को कहाँ दुनिया के गंभीर विषयों से जुड़ाव होता है।मगर,पर्यावरण के प्रति उसकी जो चिंताएं हैं यदि सभी बच्चे उसकी तरह अभी से प्रकृति के प्रति जागरूक होंगे‍ तभी तो हमारा कल सुधरेगा।
लिसिप्रिया की तुलना स्वीडन की सोलह वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग से की जाने लगी है।जलवायु परिवर्तन पर काम कर रही है यह बच्ची अपने-आप में एक मिसाल है।
लिसिप्रिया कहती है कि जिंदगी बेहतर बनाने के लिए हम सबको सही कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य को संवारा जा सके और आगे आने वाली पीढ़ियाँ साफ और स्वच्छ हवा में जी सकें।
अनुराधा चौहान'सुधी'
लिसिप्रिया के बारे में सभी जानकारी दैनिक ट्रिब्यून, जनसत्ता, एनडीटीवी के माध्यम से ली गई हैं।
चित्र गूगल से साभार

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