Thursday, September 3, 2020

बर्तन यूनियन (बाल कथा)


आशु! पैर से कोई बरतनों को ठोकर मारता है क्या। सरला अपने पांच वर्षीय बेटी को चिल्लाते हुए गुस्से से बोली😠।
ममा क्या इनको भी चोट लगती है, इनमें भी जान होती है🤔।ममा..ममा बोलो ना🤷?
पीछा छुड़ाने के लिए सरला ने कहा दिया,हाँ बर्तनों में भी जान होती है😬,अब पैर नहीं मारना कभी।चलो तुम्हें सुला दूँ।
आशु के नन्हे मन में कई सवाल उमड़ते-घुमड़ते रहे🙇, और सरला उसके सवालों के जवाब देते हुए थक गई🥴।
तभी उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी। कौन है वहाँ देखती हूँ। सरला रसोईघर का नज़ारा देख चौंक गई😳। और छुपकर बैठ गई।
कटोरी उछलकर सामने आई।हाँ तो भाइयों-बहनों क्या सोचा आप सभी ने🤔
सोचना क्या है 🤔हम सब एक-दूसरे के साथ 🤗 कदम से कदम मिलाकर अपना विरोध प्रकट करना है।
आखिर कब तक हम इंसानों के जुल्म सहेंगे😡। जिसका मन आता है वो हमें पटकता है, लोहे के तारों से घिसता है।😩 हमको एक होना होगा 🤝
बहन तुम्हारी पीड़ा तो यही तक सीमित है। हमें तो घंटों आग में जलाते हैं, यह लोग.. तवा बोला
देखो कितना चिकना चमकदार और सुंदर था 😊।आज रोता हूँ अपने हाल पर 😢
चम्मच खनकी । मेरी भी सुन लो व्यथा😔मेरा हाल तो बुरा है 😏सब बार-बार मुँह में डालकर दाँतो तले दबाते हैं,जी करता है एक-दो दाँत साथ ले आऊँ👿
ग्लास मुस्कुराते हुए बोला, मैं तो सुखी हूँ,सब ठंडा शीतल जल मुझमें डालते हैं तो आनंद आ जाता है।😌
सब अपनी ही कहते रहोगे या मेरी सुनोगे। कड़ाही जोर से नीचे कूदी।देखो मेरी गोरी चिकनी काया में करछुल से कितने छिद्र कर दिए गए😔।अब रगड़-रगड़ कर मुझे आधा भी नहीं रहने दिया 😢
फिर तो थाली प्लेटें,भगोने, डिब्बे सब निकल कर रसोई के फर्स पर जमा हो गए।
सब में जोरदार वार्तालाप चालू था। रसोई घर का हाल देख सरला का हाल खराब था😳
सबसे ज्यादा मजे तो इन लोगों के हैं🙄चमचे ने चीनी मिट्टी के बर्तन की ओर इशारा करते हुए कहा।
कोमल हाथों से🤗 इन्हें सहेजकर रखा जाता है।ध्यान रखा जाता है ।कहीं इन्हें चोट न लगे।
सही कहा.. चाकू उछलकर सामने आया और बोला।अब तक सहेंगे 😡 तीखी मिर्च काटकर कभी मुझे साफ़ नहीं करते 😔 कितनी जलन सहता हूँ,जी करता है उँगली काट दूँ😬
सही बताऊँ कई बार काटी भी है 😆🤭 थोड़ी देर के लिए माहौल हल्का-फुल्का हो गया।
सरला अपनी कटी उँगली देखने लगी।आज ही मिर्ची काटते हुए कट गई थी।
दूध का भगोना अपने मोटापे के कारण हिल नहीं पा रहा था। भाईयों मदद करो उफ़ यह मोटापा🥴
सब मिलकर उसे भी नीचे उतार लेते हैं।अब तुम्हारी क्या समस्या है भाई🤔
मेरी कोई समस्या नहीं है भाई😊 मैं तो अक्सर दूध बाहर गिराकर तुम लोगों की तकलीफों का बदला ले लेता हूँ😄
क्या बात करते हो भाई🙊 सच्ची कह रहे हो🤔 हाँ कल सुबह गैस बंद करते-करते कितना सारा दूध मैंने बाहर फेंक दिया।
यह सब तो ठीक है आगे क्या सोचा है🤔 सोचना क्या.. नहीं सुधरेंगे, तो हम भी सिनचैन👼 बनकर सताते रहेंगे😁
बर्तन यूनियन ज़िंदाबाद 📢चलो अब हमारा रंगारंग कार्यक्रम शुरू किया जाए।
सारे बर्तन आपस में टकराते हुए नाचने-गाने लगे💃‌।
है अगर दुश्मन,दुश्मन,
जमाना ,गम नहीं ,गम नहीं,
कोई आये कोई आये कोई...
हम किसी से कम नहीं,कम नहीं 
🥳यह देख फ्रिज में रखे फल सब्जियाँ भी मैदान में उतर आए।
सब्जियाँ🥕🥦🍆 नाचते हुए चॉपिंग बोर्ड पर चढ़ जाती।तो चाकू महाशय कूदकर उन्हें अपनी धार🔪 से कतरकर मुस्कुराते😜डांस करने लगते।
संतरे यह देख उछलकर गैस पर बैठ गए।चम्मच ने गैस चला दी 🔥तो संतरे 🍊उछलते🥴 हुए फिर से फ्रिज में घुस गए।
तभी कटोरी ने छलांग लगाई। और सीधी पहूँची क्रॉकरी के पास।यह देख सरला घबरा कर भागी,पर यह क्या उसके हाथ-पैर सब जाम थे😳
कटोरी नाच-नाच के छुरी-कांटे🍴 की सहायता से एक-एक करके सभी बरतन गिरा रही थी।खनाक-खन्न,खनाक-खन्न काँच से बिखरते टुकड़े देख सरला का हाल खराब हो गया 😢
अरे कटोरी रुक जा बहना..यह क्या कर रही है😳इन बेचारों की क्या गलती छोड़ दें बहना।🙏
क्यों रुक जाऊँ? आज यह सब टूटेंगे-फूटेंगे तभी हमारी कदर होगी।
ऐसा कुछ नहीं होगा, कल तुम फिर घिसी जाओगी स्क्रब लेकर।😐 हमारी ज़िंदगी जलने और घिस-घिसकर, और बाद में भंगार में जाकर खतम होनी है।😔
तुम चमचे लोग कभी अपना स्वभाव नहीं छोड़ोगे।चमचे हो चमचागिरी करते रहोगे 👿कटोरी तुनक कर बोली।
अब इसमें इसका क्या दोष,यह चमचागिरी की बात कहाँ से आ गई 😬दूध के पतीले ने बोला।
तुम तो कुछ बोलो ही नहीं..अब बारी थी कांटे-छुरी की। तुम्हें तो रोज मलाई मिल रही है,तो मक्खनबाजी करोगे👿😏
देखते-ही-देखते चमचा,करछी, कड़ाही चिमटा सब आपस में झगड़ पड़े।
यह देख टमाटर, गोभी हँस पड़े😆।अब मुश्किलों से टकराने की बारी थी टमाटरों की⚔️सभी गुस्से में 😠 दौड़ पड़े उनके पीछे।
थोड़ी देर में फर्श पर टमाटर चटनी बने पड़े थे।अब सरला की आँखों से मोटे-मोटे आँसू😭 बह निकले पड़े।
हे भगवान अस्सी रुपए किलो लाई थी टमाटर सब फोड़ डाले😭 यह मेरा सबसे प्रिय टी-सेट, मायके से मिला तोहफा था😭
रुक जाओ 🙏माफ़ कर दो कल से किसी पर जुल्म नहीं करूँगी🥴
कटोरी के समर्थन में थालियाँ मैदान में आ गई। तुम लोगों को अत्याचार सहना है सहो हम तो चले।
अरे-अरे रुको ✋पर एक-एक करके कटोरी और थालियाँ खिड़की से बाहर गिरने लगी।
सरला की आँखों के सामने उसके चमकदार स्टील के बर्तन रसोईघर से बाहर निकल गए😳😢
चमचा और पतीला चुपचाप अपने साथियों को जाते देख मायूस 🙄 हो रहे थे।
शुरू से ही चुपचाप बैठे प्रेशर कुकर ने 😠गुस्से से सीटी बजाई।यहाँ भी दल बन गए 🤔
कल तक हाथ थामकर 🤝 चलने वाले मैदान छोड़कर भाग गए 😬
अब तुमको चमचागिरी करनी है तो रुको 😏 मैं भी चला अपने साथियों के पास, अलविदा।
भाई तुम तो मेरे प्रिय मित्र हो🤗जहाँ तुम वहाँ मैं रुको✋ मैं भी आया।
पतीला भी चल दिया। नहीं-नहीं रुक जाओ✋ सरला जोर से रो पड़ी😭 अभी तो धनतेरस पर इतना मँहगा लेकर आई थी।हाय मेरा हॉकिन्स फ्युचरा, हाय मेरा प्यारा कुकर 😰
सरला जोरों से उठकर भागी। धड़ाम 🥵 पलंग से गिर गई🥴 हे भगवान यह सपना था 🤔मैं नींद में यह सब देख रही थी😴
सरला को यकीन नहीं हुआ 🙄 दौड़कर रसोईघर में जा पहुँची।
सुई गिरने की आवाज़ सुनाई दे जाए। रसोई घर में इतना सन्नाटा पसरा हुआ था😐
सरला ने टी-सेट निकाल कर देखा।🥰 मेरा प्यारा टी-सेट एक तू ही तो है जो दिनभर मायके का एहसास दिलाता है 😘 शुक्र है तुझे कुछ नहीं हुआ😊
सुबह सरला बड़े प्यार से बरतन चमका रही थी। सरला क्या हुआ 🤔आज घंटे भर से बरतन धो रही हो?
कुछ नहीं जी, इन्हें चोट न लगे इसलिए आराम से साफ कर रही हूँ,सरला अभी-भी रात के सपने में खोई थी।क्या🤔प्रकाश कुछ नहीं समझा नहीं ।बस आश्चर्य🤯 से सरला की गतिविधि को देख रहा था।
©®अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️



8 comments:

  1. संवेदनाओं से भरपूर सुन्दर बाल कथा :)

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (05-09-2020) को   "शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ"   (चर्चा अंक-3815)   पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. बहुत रोचक बालकथा

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  4. वाह!!!
    बर्तनों में जान होती है...बहुत ही रोचक बालकथा।

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