मौत से जूझकर
मुश्किल रास्तों से गुजरकर
ज़िंदगी का दरवाज़ा खुलता है
उस दरवाज़े से निकलकर ही मिलता है
जीवन का मार्ग जिसका अंत
मौत की दहलीज पर होता है
ज़िंदगी से मौत के बीच के मार्ग पर
हमको जीवन जीना पड़ता है
अपने कर्म करते हुए
अपने सपनों अपनों की ख्व़ाहिशें
सब पूरी करनी पड़ती हैं
मार्ग किसका कितना बड़ा
और किसका कितना छोटा है
यह सिर्फ विधाता ही जानता है
हमको जीने के लिए सिर्फ कर्म करने हैं
यही विधि का विधान है
उस विधाता की अनुपम रचना है
अंत में ही आरंभ का रहस्य छिपा है
हम जीवन-मृत्यु के
मार्ग पर चलते
जीवन के हज़ारों रंग देखते
विधाता की अनबूझ पहेली
सृष्टि के सृजनात्मक
शक्ति का अहसास लिए
जीवन के नये सृजन में योगदान करते
और महसूस करते
उस विधाता के अहसास को
जो जीवन का दाता और
सृष्टि का पालनहार है
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
जी धन्यवाद शिवम् जी
ReplyDeleteयह तो गीता का सन्देश हो गया. बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
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