Friday, September 13, 2019

हिन्दी


सदियों पुरानी बात है।माँ भारती अपने सभी बेटों(धर्म) और अपनी समस्त बेटियों (भाषाओं) के साथ अपने विशाल घर(सम्पूर्ण भारत) में सुख-शांति से रहती थीं।
माँ भारती नख से शिखर तक सोने-चाँदी, हीरे-जवाहरात से सुसज्जित थी।धन्य-धान की कमी नहीं थी,स्वर्ग से उतरी गंगा, यमुना, कृष्णा, कावेरी, गोदावरी आदि नदियों के जल से माँ भारती के बच्चों की जीवन अमृत मिला करता था।
एक दिन इंग्लिश घायल अवस्था में लड़खड़ाते कदमों से माँ भारती से टकरा गई।उसकी दुर्दशा देखकर माँ भारती को दया आ गई उन्होंने उसे अपने आँगन में जगह दे दी।हर किसी का स्वागत करना तो हमारे संस्कार थे।
अंग्रेजी को अपनी दशा सुधारने का मौका मिला तो उसने माँ भारती के प्यार का ग़लत इस्तेमाल किया।अंग्रेजी ने विष बोना शुरू कर दिया। माँ भारती के पुत्रों को आपस में लड़वाकर उनसे उनका साम्राज्य छीन लिया और अपना राज स्थापित कर लिया।
माँ भारती को गुलामी की बेड़ियों में कस दिया गया। अपने पुत्रों के रक्त से रंगी माँ भारती चित्कार उठी। भारत माँ की पीड़ा को महसूस कर सभी बेटे(धर्म) बेटियाँ(भाषाओं) एकजुट होकर की रक्षा करने का संकल्प लेकर मैदान में कूद पड़े।
फिर क्या था आजादी पाने  के लिए जगह-जगह युद्ध छिड़ गए।सदियाँ बीतने लगी पर माँ भारती की संतानें अपने अधिकारों के लिए लड़ती रही।
एक दिन खुशियों भरे दिन लौट आए माँ भारती फिर से मुस्कुरा उठी और हर तरफ खुशियाँ लहलहा उठी पर जाते-जाते अंग्रेजी अपने विषबेल (संस्कार) पीछे छोड़ गई।आज भी आजाद भारत अंग्रेजी की विषबेल में उलझा संस्कृति का बलि चढ़ा रहा है और हिन्दी की उपेक्षा करने में अपनी शान समझता है।
क्या मैं सही नहीं कह रही? हमारे ही देश में हिन्दी में बोलने वाले को उतना सम्मान नहीं जितना इंग्लिश भाषा के व्यक्ति को मिलता है।
हम सभी एक दिन हिन्दी को महिमा को याद करते हैं कि हमें गर्व है हिन्दी भाषी हैं और हिन्दी की महिमा गाते-गाते बीच में अंग्रेजी बोल ही देते हैं।
क्यों..? क्योंकि इंग्लिश में शान महसूस होती है इसलिए तो आजकल बच्चे को भी जन्म से ही इंग्लिश बोलने की आदत डाली जाती हैं।माना इंग्लिश जरूरत बन गई है पर जहाँ जरूरत है वहीं इस्तेमाल करना चाहिए।
हम घर, दोस्तों के बीच साधारण बोलचाल में तो हिन्दी को प्राथमिकता दे ही सकते हैं?हिन्दी हमारी मातृभाषा है और इसका सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
तो फिर शरमाइए मत आज़ से अभी से शान से हिन्दी बोलिए और लिखिए यह हमारी मातृभाषा है। हमारा मान-सम्मान और पहचान है।

माँ भारती के भाल की बिंदी
हम सबकी पहचान है हिन्दी
देव-वाणी, ग्रंथों की भाषा
हिन्दी की उत्तम परिभाषा
लेखक का अभिमान हिन्दी
हम सबका स्वाभिमान हिन्दी
माँ की ममता-सी हिन्दी
रामायण गीता है हिन्दी
हमारी मातृभाषा है हिन्दी

***अनुराधा चौहान*** स्वरचित ✍️

6 comments:

  1. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

      Delete
  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-09-2019) को "लेइसी लिखे से शेयर बाजार चढ़ रहा है " (चर्चा अंक- 3459) पर भी होगी।


    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

    ReplyDelete
  3. वर्तमान परिदृश्य में बहुत अच्छी विचार प्रस्तुति
    माध्यम कोई भी हो लेकिन आज हिंदी को भारत में नहीं बल्कि विश्व भर में व्यापक स्तर पर अपनाया जा रहा है
    कहते हैं न कि घूरे के दिन भी फिरते हैं, इसलिए ऐसा मेरा मानना है और विश्वास है कि वह दिन जरूर आएगा जब हिंदुस्तान ही नहीं विश्व में हिंदी बोलने-लिखने वालों के सबसे अधिक संख्या होगी और वह अग्र पंक्ति में होगी, तब हिंदी दयनीय भाषा नहीं बल्कि सम्मान की भाषा होगी

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी कविता जी ऐसा जरूर होगा। हार्दिक आभार सखी

      Delete