मन के भाव लिखती हूँ,कविता लिखती हूँ,कहानी लिखती हूँ,यह भाव है मेरे मन के,अपनी मन की जुबानी लिखती हूँ।
अनुराधा चौहान
Thursday, October 4, 2018
यह जरूरी तो नहीं
हर सफर आसान मिले यह जरूरी तो नहीं
हर ख्बावों को परवाज मिले यह जरूरी तो नहीं
रखना पड़ता है हौंसला ख्बाव पूरे करने के लिए
हर मुकाम आसान मिले यह जरूरी तो नहीं
***अनुराधा चौहान***
वाह बहुत सही सखी उम्दा सोच।
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteबहुत सुन्दर 👌
ReplyDeleteधन्यवाद अनिता जी
Deleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद दी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Delete