Monday, November 19, 2018

स्मृतियां हमारी साथी

कुछ खट्टी
कुछ मीठी
स्मृतियां होती हैं
तन्हाइयों की साथी
कुछ स्मृतियां
मन को बहलातीं है
तो कुछ मन में
टीस जगाती हैं
अच्छी हों या बुरी हों
यह हमेशा
साथ निभाती हैं
कुछ स्मृतियां
बालपन की
मन को सुकून
दे जाती हैं
जो जिए थे
पल बचपन में
वह खुशियां
दे जाती हैं
कुछ स्मृतियां
मां के घर की
मन में हलचल
मचाती हैं
जिए थे पल जो
उस आंगन में
फिर से जीने की
चाह जगाती हैं
कुछ स्मृतियां
सखियों की
जो अब सब
बिछड़ गई
शादी करके सब
अपने अपने
नए जीवन में
जाकर रम गई
स्मृतियां हमारी
तन्हाइयों की साथी
अक्सर मन को
बहलाती है
कुछ खुशियां देती हैं
तो कुछ गम दे जाती हैं
***अनुराधा चौहान***

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 21 नवंबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



    .

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    1. बहुत बहुत आभार पम्मी जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. बहुत ही सुंदर.. रचना
    👌👌👌

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  4. वाह वाह सखी बहुत ही सुंदर यादों के सिलसिले ।


    यादों के सिलसिले ठहरे रूके फिर चलते
    गम और खुशी तो हिस्सा है जिंदगी का
    सदा साथ साथ चलते
    कभी आंसू और कभी मुस्कान बन बिखरते।


    

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  5. बहुत सुन्दर....
    वाह!!!

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