Monday, September 30, 2019

माँ का दिव्य स्वरूप


मेरी माँ का देखो दिव्य स्वरूप
अद्भुत,अनुपम,अलौकिक रूप
माँ दुर्गा हैं कष्ट निवारणी
निराकार है माँ की ज्योति
नेत्र माँ के अमृत रस बरसाते
असुरों पर अंगार गिराते
माँ शक्ति है बड़ी ही अलौकिक
ऋषि, मुनियों को यह वर देती
अन्नपूर्णा यह जग की माता
दुखियों की यह भाग्य विधाता
अष्टभुजाएं शस्त्र से शोभित
माँ दुर्गा हैं सिंह पर आसित
नौ-नौ अद्भुत रूप हैं माँ के
दर्शन कर सब पाप मिट जाते
असुरों पर है रूप प्रलयंकर
भक्तो के हर लेती संकट
शुंभ,निशुंभ को मार गिराया
धरती से हरो अब पाप की छाया
पाप बढ़े धरा पे बहुतेरे
खोल दे माँ बंद त्रिनेत्र तेरे
मिटे अधर्म का घनघोर अंधेरा
खुशियों भरा हो नया सबेरा
मेरी माँ का देखो दिव्य स्वरूप
अद्भुत,अनुपम,अलौकिक रूप
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

5 comments:

  1. हार्दिक आभार यशोदा जी

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  2. माॅ॑ के आलोकिक छवि की पावन रचना ।
    बहुत सुंदर सखी।

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