खूबसूरत वादियों, ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से घिरी कश्मीर को धरती की जन्नत कहा जाता है।और कश्मीर का दिल कही जाने वाली डल झील की खूबसूरती कश्मीर आने वालों को हमेशा ही अपनी ओर आकर्षित करती है।
हर वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी यहाँ आकर झील में मौजूद खूबसूरत हाउसबोटों में रहकर झील की खूबसूरती का आनंद उठाते हैं।
पिछले कई कुछ वर्षों से सैलानियों की बढ़ती संख्या, और हाउसबोटों से निकलने वाली गंदगी ने और डल झील पर सब्जियों की खेती करने की वजह से डल झील में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा।
डल झील की बढ़ते प्रदूषण को देख, डल झील की सफाई का जिम्मा उठाया नन्ही-सी बच्ची जन्नत ने।जन्नत अभी सात साल की दूसरी कक्षा में पढ़ती है।
जन्नत ने जब इस कार्य की शुरूआत की थी।तब वह सिर्फ पाँच वर्ष की थीं और श्रीनगर के राजबाग स्थित लिंटन हॉल स्कूल में अपर केजी में पढ़ती थी।
अपने पापा को यह काम करते देख नन्ही जन्नत ने उनसे इसका कारण पूछा तो पिता ने बताया कि वो डल झील को स्वच्छ रखने के लिए यह कार्य करते है।
पिता की बात से नन्ही जन्नत के दिल पर गहरा प्रभाव पड़ता।बस तभी जन्नत ने कश्मीर की इस खूबसूरत डल झील से कचरा हटाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।
जन्नत अपनी पढ़ाई के साथ इस कार्य को बड़ी मेहनत और लगन से करने लगी।इन दो वर्षों में जन्नत अपने आस-पास के लोगों के साथ-साथ अपने साथियों को भी इस मुहीम का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करती रहती है।
जन्नत डल झील से सटे गोल्डन डल इलाके में हाउसबोट में रहती है। जन्नत कभी अकेले तो कभी अपने पिता के साथ डल झील की सफाई करने निकल जाती है।जहाँ भी उसे कचरा दिखाई पड़ता है, उसे अपने शिकारे में जमा करती जाती है।
जन्नत डल झील से कचरा उठाकर अपनी किश्ती में जमा करती है उसे उसके पिता नगरनिगम तक पहुँचाने का काम करते हैं।
जन्नत के इस सराहनीय कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ट्वीट कर खूब सराहा। उन्होंने मन की बात में जन्नत का जिक्र कर कहा कि सभी बच्चों को इस नन्ही बालिका से सीख लेनी चाहिए।
जन्नत एक इंटरव्यू में कहती है कि हर किसी को अपने आस-पास की साफ-सफाई के लिए आगे आना चाहिए। अपने आसपास सफाई रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
जन्नत अब सात वर्ष की हो चुकी है।पर उसके नियम वही है। वह आज भी स्कूल से आने के बाद अपनी छोटी सी किश्ती लेकर नियम से डल झील की सफाई करने में जुट जाती है।
जन्नत कहती है, मेरे पापा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। और मेरी प्रेरणास्रोत भी। मैं अकसर पापा को झील से कचरा निकालते और फेंकती देखती थी। एक दिन मेरे मन में भी विचार आया कि मुझे भी यह काम करके अपनी इस सुंदर डल झील को साफ करना है।
जन्नत आने-जाने वाले जिस भी सैलानी मिलती है,वो उन्हें भी झील में कचरा न फैंकने की गुजारिश करती है।जन्नत कहती है लोगों को समझना चाहिए। वो लोग यहाँ घूमने आते हैं और गंदगी कर जाते हैं। यह हम सबकी जिम्मेदारी है।हम अपनी खूबसूरत डल झील को गंदा होते नहीं देख सकते हैं।
जन्नत ने अपने पिता के साथ मिलकर "जन्नतस मिशन डल लेक ए न्यू बिगनिंग"यह अभियान शुरू किया है।इस काम के लिए जन्नत के पिता तारिक अहमद पतलू ने डल झील को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक रोड मैप भी तैयार किया है। तारिक अहमद इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को सौंपना चाहते हैं।
इंटरव्यू के दौरान जन्नत कहती है मुझे बाबा को यह काम करते देख लगा मुझे भी उनकी मदद करनी चाहिए। अपने पिता से प्रेरित होकर जन्नत दो साल से डल झील को साफ कर रही है।
जन्नत की इस सराहनीय पहल को हैदराबाद स्थित स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल कर लिया गया है।जन्नत के पिता तारिक अहमद को फोन करके इसकी जानकारी मिली तो एक पल के लिए उन्हें विश्वास नहीं हुआ था।बाद में सच्चाई जानकर उनकी आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े।
तारिक अहमद बड़े गर्व से कहते हैं ।उनकी बेटी बहुत ही प्रतिभाशाली और प्रकृति प्रेमी है। उसने केवल उनका ही नहीं, उनके साथ-साथ पूरे कश्मीर का नाम भी रोशन किया है।
खेल-कूद की उम्र में जन्नत डल झील को स्वच्छ बनाने में लगी है।जन्नत कहती है मुझे बहुत खुशी हो रही है कि सब मेरे काम की तारीफ करते हैं।और मेरे इस प्रयास को स्कूल की किताब में भी जगह मिली है।
मैं तो अपने साथियों से भी कहती हूँ,आप सब भी आगे आइए और अपनी डल झील को स्वच्छ बनाइए, और सिर्फ डल झील ही नहीं हमें अपने आस-पास भी साफ-सफाई रखना चाहिए।
नन्ही जन्नत की धरती के जन्नत को स्वच्छ बनाए रखने की यह मुहीम वाकई में काबिले तारीफ है। जिस उम्र में बच्चे खेलकूद में व्यस्त रहते हैं।उस उम्र में जन्नत अपने छोटे से शिकारे को लेकर डल झील को स्वच्छ बनाने में व्यस्त रहती है।
जन्नत के बारे में जब मैंने न्यूज में देखा और कुछ ई न्यूज पेपर में भी पढ़ा। गूगल पर उसके विडियो भी देखे तो मैंने सोचा नन्ही बच्ची के सराहनीय कार्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता होना चाहिए।जन्नत के इस कार्य से सभी को सीख लेनी चाहिए।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
हर वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी यहाँ आकर झील में मौजूद खूबसूरत हाउसबोटों में रहकर झील की खूबसूरती का आनंद उठाते हैं।
पिछले कई कुछ वर्षों से सैलानियों की बढ़ती संख्या, और हाउसबोटों से निकलने वाली गंदगी ने और डल झील पर सब्जियों की खेती करने की वजह से डल झील में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा।
डल झील की बढ़ते प्रदूषण को देख, डल झील की सफाई का जिम्मा उठाया नन्ही-सी बच्ची जन्नत ने।जन्नत अभी सात साल की दूसरी कक्षा में पढ़ती है।
जन्नत ने जब इस कार्य की शुरूआत की थी।तब वह सिर्फ पाँच वर्ष की थीं और श्रीनगर के राजबाग स्थित लिंटन हॉल स्कूल में अपर केजी में पढ़ती थी।
अपने पापा को यह काम करते देख नन्ही जन्नत ने उनसे इसका कारण पूछा तो पिता ने बताया कि वो डल झील को स्वच्छ रखने के लिए यह कार्य करते है।
पिता की बात से नन्ही जन्नत के दिल पर गहरा प्रभाव पड़ता।बस तभी जन्नत ने कश्मीर की इस खूबसूरत डल झील से कचरा हटाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।
जन्नत अपनी पढ़ाई के साथ इस कार्य को बड़ी मेहनत और लगन से करने लगी।इन दो वर्षों में जन्नत अपने आस-पास के लोगों के साथ-साथ अपने साथियों को भी इस मुहीम का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करती रहती है।
जन्नत डल झील से सटे गोल्डन डल इलाके में हाउसबोट में रहती है। जन्नत कभी अकेले तो कभी अपने पिता के साथ डल झील की सफाई करने निकल जाती है।जहाँ भी उसे कचरा दिखाई पड़ता है, उसे अपने शिकारे में जमा करती जाती है।
जन्नत डल झील से कचरा उठाकर अपनी किश्ती में जमा करती है उसे उसके पिता नगरनिगम तक पहुँचाने का काम करते हैं।
जन्नत के इस सराहनीय कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ट्वीट कर खूब सराहा। उन्होंने मन की बात में जन्नत का जिक्र कर कहा कि सभी बच्चों को इस नन्ही बालिका से सीख लेनी चाहिए।
जन्नत एक इंटरव्यू में कहती है कि हर किसी को अपने आस-पास की साफ-सफाई के लिए आगे आना चाहिए। अपने आसपास सफाई रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
जन्नत अब सात वर्ष की हो चुकी है।पर उसके नियम वही है। वह आज भी स्कूल से आने के बाद अपनी छोटी सी किश्ती लेकर नियम से डल झील की सफाई करने में जुट जाती है।
जन्नत कहती है, मेरे पापा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। और मेरी प्रेरणास्रोत भी। मैं अकसर पापा को झील से कचरा निकालते और फेंकती देखती थी। एक दिन मेरे मन में भी विचार आया कि मुझे भी यह काम करके अपनी इस सुंदर डल झील को साफ करना है।
जन्नत आने-जाने वाले जिस भी सैलानी मिलती है,वो उन्हें भी झील में कचरा न फैंकने की गुजारिश करती है।जन्नत कहती है लोगों को समझना चाहिए। वो लोग यहाँ घूमने आते हैं और गंदगी कर जाते हैं। यह हम सबकी जिम्मेदारी है।हम अपनी खूबसूरत डल झील को गंदा होते नहीं देख सकते हैं।
जन्नत ने अपने पिता के साथ मिलकर "जन्नतस मिशन डल लेक ए न्यू बिगनिंग"यह अभियान शुरू किया है।इस काम के लिए जन्नत के पिता तारिक अहमद पतलू ने डल झील को प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक रोड मैप भी तैयार किया है। तारिक अहमद इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को सौंपना चाहते हैं।
इंटरव्यू के दौरान जन्नत कहती है मुझे बाबा को यह काम करते देख लगा मुझे भी उनकी मदद करनी चाहिए। अपने पिता से प्रेरित होकर जन्नत दो साल से डल झील को साफ कर रही है।
जन्नत की इस सराहनीय पहल को हैदराबाद स्थित स्कूल के पाठ्यक्रम में भी शामिल कर लिया गया है।जन्नत के पिता तारिक अहमद को फोन करके इसकी जानकारी मिली तो एक पल के लिए उन्हें विश्वास नहीं हुआ था।बाद में सच्चाई जानकर उनकी आँखों में खुशी के आँसू छलक पड़े।
तारिक अहमद बड़े गर्व से कहते हैं ।उनकी बेटी बहुत ही प्रतिभाशाली और प्रकृति प्रेमी है। उसने केवल उनका ही नहीं, उनके साथ-साथ पूरे कश्मीर का नाम भी रोशन किया है।
खेल-कूद की उम्र में जन्नत डल झील को स्वच्छ बनाने में लगी है।जन्नत कहती है मुझे बहुत खुशी हो रही है कि सब मेरे काम की तारीफ करते हैं।और मेरे इस प्रयास को स्कूल की किताब में भी जगह मिली है।
मैं तो अपने साथियों से भी कहती हूँ,आप सब भी आगे आइए और अपनी डल झील को स्वच्छ बनाइए, और सिर्फ डल झील ही नहीं हमें अपने आस-पास भी साफ-सफाई रखना चाहिए।
नन्ही जन्नत की धरती के जन्नत को स्वच्छ बनाए रखने की यह मुहीम वाकई में काबिले तारीफ है। जिस उम्र में बच्चे खेलकूद में व्यस्त रहते हैं।उस उम्र में जन्नत अपने छोटे से शिकारे को लेकर डल झील को स्वच्छ बनाने में व्यस्त रहती है।
जन्नत के बारे में जब मैंने न्यूज में देखा और कुछ ई न्यूज पेपर में भी पढ़ा। गूगल पर उसके विडियो भी देखे तो मैंने सोचा नन्ही बच्ची के सराहनीय कार्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को पता होना चाहिए।जन्नत के इस कार्य से सभी को सीख लेनी चाहिए।
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
अच्छी जानकारी।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसच कहते है,अगर देश और समाज के लिए कुछ करना चाहों तो उम्र की भी कोई सीमा नहीं होती ,बहुत ही प्रेरक प्रसंग ,मुझे दुःख हो रहा है कि -मैं आज तक इस बच्ची केके बारे में नहीं जानती थी ,बहुत बहुत धन्यवाद सखी" जन्नत " का परिचय देने के लिए,सादर नमन सखी
ReplyDeleteआभार सखी,मुझे भी अभी कुछ दिन पहले ही में इसके विषय में जानकारी मिली तो आप सबसे साझा की है।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-6-2020 ) को "नन्ही जन्नत"' (चर्चा अंक 3748) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार सखी
Deleteप्यारी जन्नत से परिचय करवाने के लिए आपका बहुत.बहुत आभार अनुराधा जी।
ReplyDeleteजन्नत के रुप में प्रेरणा और सकारात्मक ऊर्जा समाज में जीवित लगते हैं।
सहृदय आभार श्वेता जी
Deleteप्रेरक प्रसंग़।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteनन्ही जन्नत को बहुत शुभकामनाएं, इस नेक काम को करके वह काश्मीर का नाम उज्ज्वल कर रही है, प्रेरक पोस्ट !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteनन्ही बच्ची ने एक मिसाल कायम की है जो सबके लिए अनुकरणीय है । बहुत ही शिक्षाप्रद प्रसंग ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteजन्नत जैसे बच्चे समाज के लिए प्रेरणादायक है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteप्रेरणा और ऊर्जा से भरी हुई जन्नत
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteवाहजन्नत आ!!! शाबास जन्नत!!! 👌👌👌👌
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
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