मन के भाव लिखती हूँ,कविता लिखती हूँ,कहानी लिखती हूँ,यह भाव है मेरे मन के,अपनी मन की जुबानी लिखती हूँ।
अनुराधा चौहान
Sunday, October 7, 2018
माटी
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माटी का बना
पंचतत्व शरीरा
उसी में मिला
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माटी है शान
बोलते कर्मवीर
देते हैं जान
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पावन माटी
धन्य भारत देश
करें वंदना
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पग पखारे
विशाल समंदर
माटी वंदन
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माटी आंचल
सजग हिमालय
खड़ा विशाल
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माटी के लाल
जगत मशहूर
देश की शान
***अनुराधा चौहान***
वाह
ReplyDeleteधन्यवाद दी
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