Monday, May 20, 2019

हाइकु(गर्मी)

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तेज है घाम
पशु-पक्षी बेचैन
मिले न छाँव
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गर्मी से चूर
बढ़ रही बेचैनी
बारिश दूर
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अग्नि के बाण
सूर्य करे प्रहार
बेचैन धरा
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नौ तपा शुरू
जेठ की दुपहरी
बेचैन मनु
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बढ़ी बेचैनी
उगलता सूरज
क्रौध में आग
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घिरते मेघा
मन है बेकरार
वर्षा की आस
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झूमती धरा
बारिश में भीगती
बेचैनी मिटा
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बादल काले
घनघोर बारिश
मन हर्षाते
 ***अनुराधा चौहान***✍

8 comments:

  1. वाह बहुत खूबसूरत हाइकु।

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  2. बहुत ही सुंदर हायकु, अनुराधा दी।

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    1. धन्यवाद ज्योती बहन

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  3. बहुत सुन्दर !
    सुन बादल
    इनकी पुकार
    बरस जा

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  4. Replies
    1. धन्यवाद रवीन्द्र जी

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