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तेज है घाम
पशु-पक्षी बेचैन
मिले न छाँव
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गर्मी से चूर
बढ़ रही बेचैनी
बारिश दूर
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अग्नि के बाण
सूर्य करे प्रहार
बेचैन धरा
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नौ तपा शुरू
जेठ की दुपहरी
बेचैन मनु
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बढ़ी बेचैनी
उगलता सूरज
क्रौध में आग
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घिरते मेघा
मन है बेकरार
वर्षा की आस
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झूमती धरा
बारिश में भीगती
बेचैनी मिटा
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बादल काले
घनघोर बारिश
मन हर्षाते
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बादल काले
घनघोर बारिश
मन हर्षाते
***अनुराधा चौहान***✍
वाह बहुत खूबसूरत हाइकु।
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी
Deleteबहुत ही सुंदर हायकु, अनुराधा दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योती बहन
Deleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteसुन बादल
इनकी पुकार
बरस जा
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद रवीन्द्र जी
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