निशा गहराई शमा जली
पतंगे से मिलने को बेचैन हुई
शमा की लौ का दिवाना
उड़ चल पतंगा आवारा
अपने हस्र की कोई फ़िक्र नहीं
शमा से मिलने की लगन लगी
लिपट गया जा शमा से गले
प्रीत में उसकी धधक कर जला
यह कैसा प्रेम यह कैसा मिलन
इक पल का यह अद्भुत मिलन
शमा के प्रेम की ज्वाला में जला
हो गया पतंगा शमा से जुदा
बिछड़ी शमा प्रखर हो जली
दुनिया को सीख यही देती रही
प्रेम की उमर छोटी हो भले ही
आशा की किरण ने बुझने देना
हो चिराग तले अँधेरा भले
उजियारा कर औरों के लिए
प्रेम की उमर छोटी हो भले ही
आशा की किरण ने बुझने देना
हो चिराग तले अँधेरा भले
उजियारा कर औरों के लिए
अपने लिए तो हर कोई जिए
औरों के लिए कुछ पल तो जी
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत खूब उजाला में यही प्रेरणा देता है कि अपने लिए तो सभी जीते हैं ,अपने लिए भी तो कुछ पल जियो
ReplyDeleteहार्दिक आभार ऋतु जी
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