घुल रहा सांसों में जहर
जिम्मेदार तो हम ही हैं
खो रही रौनक फिज़ाएं
जिम्मेदार तो हम ही हैं
ज़हर भरी चलती हवाएं
क्यों करते अब परवाह
इंसान ही इंसान को मारे
मन में भरकर जहर
नौनिहालों का जीवन
नशा छीन रहा बन जहर
कारखानों से बहते जहर ने
लीला नदियों का जीवन
कल-कल कर बहती नदी
अब आती गंदी नाले सी नजर
रासायनिक मिलावट से हुआ
खाना-पीना भी अब ज़हर
आतंकवाद का जहर लीले है
मासूम लोगो का जीवन
मर रहा है हर आम इंसान
भ्रष्टाचार का जहर है ऐसा
इस जहर को मार सके
वो तोड़ अब कहाँ से लाएँ
इस जहर के कहर से तो
अब ऊपरवाला भी न बचाए
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
जिम्मेदार तो हम ही हैं
खो रही रौनक फिज़ाएं
जिम्मेदार तो हम ही हैं
ज़हर भरी चलती हवाएं
क्यों करते अब परवाह
इंसान ही इंसान को मारे
मन में भरकर जहर
नौनिहालों का जीवन
नशा छीन रहा बन जहर
कारखानों से बहते जहर ने
लीला नदियों का जीवन
कल-कल कर बहती नदी
अब आती गंदी नाले सी नजर
रासायनिक मिलावट से हुआ
खाना-पीना भी अब ज़हर
आतंकवाद का जहर लीले है
मासूम लोगो का जीवन
मर रहा है हर आम इंसान
भ्रष्टाचार का जहर है ऐसा
इस जहर को मार सके
वो तोड़ अब कहाँ से लाएँ
इस जहर के कहर से तो
अब ऊपरवाला भी न बचाए
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बिल्कुल सठीक रचना। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय ।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
DeleteBahut sundar rachna
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर
सहृदय आभार सखी
Deleteबहुत सुन्दर रचना....
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
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