मेरी हर शाम है रहती
खोई खोई सी घर दरवाजे पर
हरपल तेरा इंतज़ार मैं करती रहती
खोई खोई सी घर दरवाजे पर
हरपल तेरा इंतज़ार मैं करती रहती
पल पल तेरी याद सताए
रातों को नींद भी न आए
अनहोनी हरपल सताए
हर आहट पर दिल घबराए
न चिट्ठी भेजी न कोई संदेशा
कब आओगे नहीं कोई अंदेशा
भेज दो लिख कर कोई पाती
रब से मांगती तुम्हारी सलामती
तुम बिन सूना हर एक कोना
माँ को इक पल आए न चैना
बापू सूनी राहों को निहारे
आँंखों में अपनी नमी छुपाए
भेजी है मैंने तुमको पाती
उसमें सबका प्यार बसा कर
घर का पूरा एहसास बसा कर
भेजी है मैंने घर की याद
***अनुराधा चौहान***
भीगे दिल की मनुहार ... इंतज़ार का अंत होगा ...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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