Wednesday, May 29, 2019

बँटवारे का दर्द

बड़ा ही दुखदायी होता
जब बँटवारा सहना पड़ता है
तिनका-तिनका जोड़ा
बनाया सपनों का घरौंदा
जज़्बातों के रंग भरकर
हर एक ईंट को जोड़ा
अरमानों के दीप जलाकर
किया था उजाला घर में
प्यार की बारिश करके
दिल के टुकड़ों को सींचा
एक-एक कोने में रची-बसी
जीवन की अनमोल यादें
कब बेटों ने स्वार्थ में भुला दी
माता-पिता का तोड़कर दिल
घर के बँटवारे पर आ गए
टुकड़े-टुकड़े कर दिए रिश्ते
बँटा आँगन बँट गई दीवारें
प्यार से सींचा था जिसको
वो पेड़ खड़ा था आँगन में सहमा
माँ-बाप भी बँट गए
किस्मत के मारे दोनों बेचारे
बुढ़ापे में एक-दूसरे से दूर
बेटों के हाथों होकर मजबूर
आँसू भरी आँखों से रहे देखते
आँगन के बीच दीवार बनते
किसी के हिस्से में माँ आई
किसी के हिस्से में पिता
बड़ा ही दुखदायी होता
जब घर का बँटवारा होता
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

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