मत रखो मन पर कोई बोझ
संघर्ष ही जीवन है रखो यह होश
जब पत्थर से हथौड़ा टकराए
तो पत्थर से पानी निकल आए
न निराश हो न थको तुम
ज़िंदगी के सच को समझो तुम
आग में तपकर कुंदन खरा होता
मेहनत से इंसान सफल होता
किस्मत को लेकर रोने से
समय को यूंँ ही खोने से
किसने भला सफलता पाई
मेहनत से ही दौलत पाई
नन्ही चींटी को तुम देखो
कितना बोझ ले चलती है
तिनका-तिनका चुनती है
चिड़िया तब घोंसला बुनती है
लहरों से जो डर जाओगे
खुद को कैसे पार लगाओगे
बुजुर्गो से सुना यह किस्सा है
सुख-दुख जीवन का हिस्सा है
जिसने इस सच को माना है
उसे संतोष का मिला खजाना है
जब मन में कर्म का जोश जगे
हर मुश्किल भी आसान लगे
तुम भी ऐसा कुछ कर जाओ
दुनियांँ को सदा ही याद आओ
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत उम्दा
ReplyDeleteबेहद आभार आदरणीय
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