मेरे मनमंदिर में हो तुम
जीवन के हर क्षण में हो तुम
सृष्टि के कण-कण में हो तुम
सांसों की हलचल में हो तुम
दिल की धड़कन में हो तुम
गीतों की सरगम में हो तुम
नयनों की ज्योति में हो तुम
हवा केे एहसास में हो तुम
जीवन की हर सांँस में हो तुम
फूलों की खुशबू में हो तुम
शूलों के चुभने में भी तुम
सौंदर्य की परिभाषा भी हो तुम
प्रेम की भाषा भी हो तुम
सृष्टि के रचयिता भी हो तुम
प्रभू मन में बसे हो तुम
हर कण में बसे हो तुम
गोपियों के श्याम हो तुम
सीता के राम भी हो तुम
यह जीवन तुम्हीं से है
जीवन की सच्चाई हो प्रभू तुम
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
जय श्री राम. 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 नमन
ReplyDeleteजय श्री राम..! प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार सखी
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