सूनी ठूठ-सी डालों पर
मखमली पलाश
झील में देख अपना
सुर्ख रूप खूबसूरती
पर है इठलाते
कलियाँ भी खिलकर
बन गई फूल
पेड़ भी अपने यौवन
पर इतराने लगे
खिल उठे सुर्ख
पलाश के फूल
लो ऋतुराज आया
बसंती हवाओं ने
मौसम महकाया
बिछ गई वृक्षों के नीचे
झरते फूलों की
मखमली चादर
दृश्य सुहाना सुखद
प्रीत ले आया मधुमास
मौसम गुजर जाएगा
संग यह रौनक ले
बहारों केे मौसम में जो
खिले दहकते
पलाश अंगारों जैसे
फिर एक दिन
टूट कर बिखरेंगे
सूने पड़े गलियारों में
फिर बेनूर हो जाएंगी
फूलों से सजी डालियाँ
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
मखमली पलाश
झील में देख अपना
सुर्ख रूप खूबसूरती
पर है इठलाते
कलियाँ भी खिलकर
बन गई फूल
पेड़ भी अपने यौवन
पर इतराने लगे
खिल उठे सुर्ख
पलाश के फूल
लो ऋतुराज आया
बसंती हवाओं ने
मौसम महकाया
बिछ गई वृक्षों के नीचे
झरते फूलों की
मखमली चादर
दृश्य सुहाना सुखद
प्रीत ले आया मधुमास
मौसम गुजर जाएगा
संग यह रौनक ले
बहारों केे मौसम में जो
खिले दहकते
पलाश अंगारों जैसे
फिर एक दिन
टूट कर बिखरेंगे
सूने पड़े गलियारों में
फिर बेनूर हो जाएंगी
फूलों से सजी डालियाँ
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी
ReplyDeleteऋतुराज आया
ReplyDeleteबसंती हवाओं ने
मौसम महकाया
बिछ गई वृक्षों के नीचे
झरते फूलों की
मखमली चादर
दृश्य सुहाना सुखद. ...मन मोहने वाला दृश्य |
नमन
सादर
धन्यवाद सखी
Deleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteफिर एक दिन
ReplyDeleteटूट कर बिखरेंगे
सूने पड़े गलियारों में
फिर बेनूर हो जाएंगी
फूलों से सजी डालियाँ.... बहुत सुंदर
धन्यवाद आदरणीया
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