मन के भाव लिखती हूँ,कविता लिखती हूँ,कहानी लिखती हूँ,यह भाव है मेरे मन के,अपनी मन की जुबानी लिखती हूँ। अनुराधा चौहान
वाह !! बहुत सुन्दर सखी सादर
सस्नेह धन्यवाद प्रिय अनिता जी
बहुत खूब सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद आदरणीय
सत्य है। सुन्दर।
बहुत बहुत आभार आदरणीय
जग एक छलावा ...पर कहाँ समझ पाते हैं हम ... समझते हैं यही सच है ...
सही कहा आपने आभार आदरणीय
हाईकू विधा के बारे में तो पता था। आज आपके माध्यम से पिरामिड का भी पता चल गया। धन्यवाद।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।iwillrocknow.com
बहुत खूब
वाह !! बहुत सुन्दर सखी
ReplyDeleteसादर
सस्नेह धन्यवाद प्रिय अनिता जी
Deleteबहुत खूब सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसत्य है। सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteजग एक छलावा ...
ReplyDeleteपर कहाँ समझ पाते हैं हम ... समझते हैं यही सच है ...
सही कहा आपने आभार आदरणीय
Deleteहाईकू विधा के बारे में तो पता था। आज आपके माध्यम से पिरामिड का भी पता चल गया। धन्यवाद।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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