Thursday, February 21, 2019

अविष्कार

कला जीवन 
का सौदंर्य
भांति-भांति के
रूप लिए
परिभाषित करती 
मानव को
इसके किए कर्मो से
प्रेम की कला 
से अभिभूत
यह सारा संसार है
कला से परिपूर्ण हैं 
यहांँ हर इंसान
इंसान की कलाकारी ने 
मूर्तियों से 
कहानी लिख डाली
जा पहुंँचा चाँद पर 
अब मंगल पर
इंसान की बारी
धरती पर इंसान ने
मशीनी दुनियाँ 
रच डाली
किए नित 
नए अविष्कार
अपनी पहचान 
बना डाली
भौतिक सुख सुविधाएं
रचीं अपनी 
विविध कलाओं से
गगनचुंबी इमारतें 
छू रही आकाश
इनकी कलाओं से
बस नफ़रत 
मिटाने की एक 
कला आ जाती
ना होता खून-खराबा
स्वर्ग से भी ज्यादा 
सुंदर यह दुनियांँ नजर आती
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

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