Monday, February 18, 2019

तिरंगे का दर्द


तिरंगा तड़प उठा
वीरों के न से लिपट
क्यों अक्सर जवान
ताबूत में जाते सिमट
कब तक माताएं
अपने सपूतों को खोएंगी
बहनें रक्षाबंधन पर
अपने भाईयों को रोएंगी
पिता लगाकर तिरंगा
सीने से छुप-छुप रोएंगे
कब तक दुश्मन के हाथों
देश के सपूत शहीद होंगे
कब होगा अंत आतंक का
अंत मजहबी झगड़ों का
है आस तिरंगे को
एक दिन ऐसा भी आएगा
न होगा खून-खराबा कहीं
न होगी शहादत वीरों
हर मंगलसूत्र आबाद होगा
सिंदूर से सजेंगी माँग
हर राखी चहकेगी
बेटियां बाबुल की छांव तले
साजन के घर विदा होगी
जिस दिन अमन-चैन का
आलम में डूबा हिन्दुस्तान होगा
सबसे ज्यादा खुश तिरंगा
अपनी शान में होगा
***अनुराधा चौहान***

2 comments:

  1. आँखें नम हो गई कोई परछाई आँखों सामने आ गई |
    वीर जवानों को नमन |
    सादर

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