कंटीली झाड़ियों सी ज़िंदगी
तभी अपनों को चुभती रहती
किसी की कही बातों से
कभी किसी के विचारों के विरुद्ध
अपनों से ही द्वंद करती रहती
बातों से बार-बार
अपनों पर चोट करती
नहीं होती है हर किसी की एक सोच
कोई कम तो कोई ज्यादा
अलग होता हर किसी का इरादा
बस धारणाएं ग़लत बनती जाती
अनजाने में ही सही
दिल पर चोट करती जाती
दरकने लगते हैं रिश्ते अंदर ही अंदर
फिर पहले जैसी बात कहाँ रह जाती
बदल रहा है वक़्त बदल रही है सोच
हर कोई बदल रहा यह समय का है जोर
जाने-अंजाने में कही बातों को भूल
मत चुभाओ कभी भी
किसी को भी बातों के शूल
रिश्तों की अहमियत को समझकर
मत पालो किसी के लिए भी नफ़रत
नहीं तो रह जाएगी रिश्तों की लाश धरी
समय में न संभले तो हो जाएगी देरी
***अनुराधा चौहान***
सार्थक सटीक मन्न देती पंक्तियाँ।
ReplyDeleteना बिना विचारे बोल...
सहृदय आभार सखी
Deleteदरकते रिश्तों की कहानी कोई किसी से कम नहीं टकराने को समझते हैं ताकत और रिश्तों के गला घोटते हैं सुन्दर रचना
ReplyDeleteसहृदय आभार ऋतु जी
Deleteकोई कम तो कोई ज्यादा
ReplyDeleteअलग होता हर किसी का इरादा
बस धारणाएं ग़लत बनती जाती
अनजाने में ही सही
दिल पर चोट करती जाती....
हृदयस्पर्शी यथार्थ का सृजन अनुराधा जी ।
सहृदय आभार मीना जी
Deleteबिलकुल सटीक. रिश्तों की डोर बहुत कमजोर होती है उन्हें सहेजने के लिए सार्थक प्रयास आवश्यक होता है.
ReplyDeleteसहृदय आभार सुधा जी
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 16 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबातों से बार-बार
ReplyDeleteअपनों पर चोट करती
नहीं होती है हर किसी की एक सोच
कोई कम तो कोई ज्यादा
अलग होता हर किसी का इरादा
बस धारणाएं ग़लत बनती जाती...बहुत सुन्दर रचना सखी
सहृदय आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर सारगर्भित चिंतन..संदेशपूर्ण रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteबहुत ही सुंदर...... सखी
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteवाह!!खूबसूरत रचना सखी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteमत चुभावो किसी को बातों के शूल...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...सार्थक अभिव्यक्ति.....
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुन्दर अनुराधा जी.
ReplyDeleteशिक़वे-शिक़ायत होते रहें लेकिन साथ में मान-मनुहार भी चलती रहे. हमेशा मीठा-मीठा ही क्यों? खट्टा, तीखा, चरपरा और कसैला भी न चखा तो फिर ज़िंदगी का स्वाद बे-मज़ा हो जाएगा.
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत अच्छी रचना |ब्लॉग पर आगमन हेतु हृदय से आभारी हूँ |सादर अभिवादन
ReplyDeleteसहृदय आभार आदरणीय
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसहृदय आभार दी
DeleteNice writing.well said life has two side
ReplyDeletejoy nd sorrow.sorrow bring strength in life.
Thank you
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