Saturday, September 29, 2018

मौके नहीं मिलते

बातें जो दिल में है कह दो जरा
कहीं ज़िंदगी की शाम न ढ़ल जाए
कर लो कुछ मुलाकातें देर ना कर
गिले-शिकवे भुला दो गले लग कर
जिंदगी बार-बार धोखे नहीं देती
खुशियों पाने के रोज मौके नहीं देती
हर शख्स यहाँ धोखेबाज नहीं
एतबार करके देखिए तो सही
ज़िंदगी की हकीकत को पहचानिए जरा
गुजर गया वक़्त फिर नहीं आए लौटकर
नाज़ुक कांँच से यहाँ रिश्ते हैं सभी
टूट कर बिखर गए तो जुड़ते ही नहीं
कदम फूंक-फूंक कर रखो चाहें कितने
हर कदम पर मिलेंगे लोगों के मिजाज बदले
आजमा कर हर शख्स को देखना है जरूरी
ज़िंदगी नहीं चलती हर शख्स से रख दूरी
हर किसी शख्स से यहाँ धोखे नहीं मिलते
ज़िंदगी जीने के बार-बार मौके नहीं मिलते
***अनुराधा चौहान***

13 comments:

  1. लाजवाब रचना
    बहुत सुंदर

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    1. धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी

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  2. वाह सुंदर विश्वास पर संसार कायम है ।

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  3. सही कहा अनुराधा दी। इंसान को मिले हुए हर मौके को लपक लेना चाहिए। क्योंकि मौके बार बार नहीं मिलते। सुंदर रचना।

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  4. नाज़ुक कांँच से यहाँ रिश्ते हैं सभी
    टूट कर बिखर गए तो जुड़ते ही नहीं
    बहुत सुन्दर रचना....

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  5. नाज़ुक कांँच से यहाँ रिश्ते हैं सभी
    टूट कर बिखर गए तो जुड़ते ही नहीं
    कदम फूंक-फूंक कर रखो चाहें कितने
    हर कदम पर मिलेंगे लोगों के मिजाज बदले.... बहुत सुन्दर सखी
    सादर

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  6. वाह!!प्रिय सखी ,सही कहा आपने । जब भी उचित मौका मिले ,उसका सदुपयोग करना ही चाहिए ।

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