मन के भाव लिखती हूँ,कविता लिखती हूँ,कहानी लिखती हूँ,यह भाव है मेरे मन के,अपनी मन की जुबानी लिखती हूँ। अनुराधा चौहान
बहुत सुन्दर सखी 👌मत बोलो तुम कङवे बोल नासूर गहरे रह जाते तन नहीं घाव मन के कर जाते।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
बहुत सुन्दर
बहुत बहुत आभार नीतू जी
वाणी मन की अंतर ध्वनि है ना बिना बिचारे बोल ऊंच नीच कुछ कह बैठा तोसारी खूलेगी पोल।।सोच के बोल तोल मोल के बोलबहुत सुंदर सखी।
बेहद खूबसूरत पंक्तियां सखी बहुत बहुत आभार सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
बहुत सुन्दर सखी 👌
ReplyDeleteमत बोलो तुम कङवे बोल
नासूर गहरे रह जाते
तन नहीं घाव मन के कर जाते।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार नीतू जी
Deleteवाणी मन की अंतर ध्वनि है
ReplyDeleteना बिना बिचारे बोल
ऊंच नीच कुछ कह बैठा तो
सारी खूलेगी पोल।।
सोच के बोल तोल मोल के बोल
बहुत सुंदर सखी।
बेहद खूबसूरत पंक्तियां सखी बहुत बहुत आभार सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Delete