Monday, September 24, 2018

दर्द

समंदर अपनी लहरों से कह दो न करें शोर है
तूफान मेरे अंदर भी उठा बहुत जोर है
गर बहने लगा आंसुओं में दर्द यह सारा
सैलाब में आके बह न जाए कहीं अस्तित्व तुम्हारा
                              अनुराधा चौहान

4 comments:

  1. बहुत खूब ...
    समुन्दर के अस्तित्व को चेतावनी देती पंक्तियाँ ... लाजवाब ...

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