मन के भाव लिखती हूँ,कविता लिखती हूँ,कहानी लिखती हूँ,यह भाव है मेरे मन के,अपनी मन की जुबानी लिखती हूँ।
अनुराधा चौहान
Monday, September 24, 2018
दर्द
समंदर अपनी लहरों से कह दो न करें शोर है
तूफान मेरे अंदर भी उठा बहुत जोर है
गर बहने लगा आंसुओं में दर्द यह सारा
सैलाब में आके बह न जाए कहीं अस्तित्व तुम्हारा
बहुत खूब ...
ReplyDeleteसमुन्दर के अस्तित्व को चेतावनी देती पंक्तियाँ ... लाजवाब ...
बहुत बहुत आभार आपका
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद अंकित जी
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