मेरी दुनिया बदल के रख दी
बस एक मुलाकात ने
जब हम तुम मिले थे
संग जीने के वादे किए थे
चाँद की चाँदनी में
झिलमिलाते तारों के साथ
सर्द हवाओं के झोंके
चलते थे हम हौले-हौले
झील के किनारे
छोड़ते कदमों के निशान
मुझे आज भी याद है
ज़िंदगी के वो हसीं लम्हे
झील का किनारे
रिमझिम-सी बरसात में
हाथों में हाथ लिए
जाने कितने वादे किए
उमर दबे क़दम बढ़ती रही
संग तेरे नये ख्व़ाब बुनती रही
पीछे छूटे वो क़दमों के निशां
जो कभी थे हमारे प्यार के गवाह
संभाल कर रखें हैं आज भी मैंने
खूबसूरत वो पल ज़िंदगी के
अपने पास दिल के करीब
थोड़ी फ़ुरसत फिर से दे ज़िंदगी
उन लम्हों को फिर से जीने की
बदली जिन लम्हों ने मेरी ज़िंदगी
उन लम्हों को चलो फिर से जी लें
***अनुराधा चौहान***
very nice dear anuradha ji.
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteथोड़ी फ़ुरसत फिर से दे ज़िंदगी
ReplyDeleteउन लम्हों को फिर से जीने की
बदली जिन लम्हों ने मेरी ज़िंदगी
उन लम्हों को चलो फिर से जी लें
अनुराधा दी,प्यार भरे पल ऐसे ही होते हैं। इंसान उन पलों को बार बार जीना चाहता हैं। बहुत सुंदर।
सहृदय आभार ज्योती जी
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteथोड़ी फ़ुरसत फिर से दे ज़िंदगी
ReplyDeleteउन लम्हों को फिर से जीने की।
वाह वाह अतिसुन्दर रचना
दर्द सा लहराया।
हार्दिक आभार सखी
Deleteसहृदय आभार सखी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ! वाह !
ReplyDeleteसहृदय आभार साधना जी
Deleteअच्छा भावनात्मक संस्मरण, प्यार की चाशनी में पगी और याद की कसक में कुरमुरी रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद सुबोध जी
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