आँखों में आँसू मेरे
होंठों पर तेरा नाम लिए
विरहन मैं भटकती
मिलने की चाह लिए
तुझ संग जोड़ी प्रीत
मन हुआ बावरा सांवरे
मेरे तो गिरधर गोपाल
मैं न जानूं कोई दूजा नाम रे
तूने ने मेरी प्रीत न जानी
वन-वन फिरती मारी-मारी
ढूंढती हूँ तुम्हें ब्रज की गलियों में
पूछती हूँ पता तेरी सखियों से
धुन मुरली की सुनने को बैचेन जिया
काहे सताए सांवरे अब आ भी जा
मैं नहीं राधा-सी गोरी
मैं मीरा मन की अति भोली
भटक रही तेरी भक्त दीवानी
अँखियां मेरी हरी दर्शन की प्यासी
ठाट-बाट सब पीछे छोड़ा
गिरधर तुझसे नाता जोड़ा
गोकुल में ढूंढा मथुरा में ढूंढा
वृंदावन की कुंज गलियों में ढूंढा
बरसाने में बाट निहारी
दर्शन देदो अब गिरधारी
यमुना किनारे कदम की छैंया
थक कर बैठी मैं बंशी बजैया
आँखों में आँसू होंठों पर नाम तेरा
मेरे गिरधर गोपाल तुमसे नाता जोड़ा
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
होंठों पर तेरा नाम लिए
विरहन मैं भटकती
मिलने की चाह लिए
तुझ संग जोड़ी प्रीत
मन हुआ बावरा सांवरे
मेरे तो गिरधर गोपाल
मैं न जानूं कोई दूजा नाम रे
तूने ने मेरी प्रीत न जानी
वन-वन फिरती मारी-मारी
ढूंढती हूँ तुम्हें ब्रज की गलियों में
पूछती हूँ पता तेरी सखियों से
धुन मुरली की सुनने को बैचेन जिया
काहे सताए सांवरे अब आ भी जा
मैं नहीं राधा-सी गोरी
मैं मीरा मन की अति भोली
भटक रही तेरी भक्त दीवानी
अँखियां मेरी हरी दर्शन की प्यासी
ठाट-बाट सब पीछे छोड़ा
गिरधर तुझसे नाता जोड़ा
गोकुल में ढूंढा मथुरा में ढूंढा
वृंदावन की कुंज गलियों में ढूंढा
बरसाने में बाट निहारी
दर्शन देदो अब गिरधारी
यमुना किनारे कदम की छैंया
थक कर बैठी मैं बंशी बजैया
आँखों में आँसू होंठों पर नाम तेरा
मेरे गिरधर गोपाल तुमसे नाता जोड़ा
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
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ReplyDeleteसहृदय आभार
Deleteसहृदय आभार श्वेता जी
ReplyDeleteभक्ति भाव और विरह की आकुलता लिये सुंदर सृजन।
ReplyDeleteसहृदय आभार सखी
Deleteबहुत ही सुन्दर सखी
ReplyDeleteसादर
सस्नेह आभार सखी
Deleteकृष्ण प्रेम में आँसू.... बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत बहुत आभार सखी
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ReplyDeleteThank you so much
Deleteबहुत सुंदर। बहुत खूब। आपको बधाई। सादर।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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