तेज बारिश हो रही थी और राजू पुस्तक की दुकान के बाहर खड़ा तेज बारिश में भीग रहा था। कल उसके बेटे की विज्ञान की परीक्षा है।
उसके लिए विज्ञान की पुस्तक खरीदने के लिए आज दिन भर कड़ी मेहनत करके जैसे-तैसे पैसे जमा किए थे।
पुस्तक बारिश में भीग न जाए, इसलिए पुस्तक दुकान में रख बारिश बंद होने का इंतजार करता था।
जैसे ही बारिश बंद हुई..राजू पुस्तक लेकर घर पहुँच गया। उसका बेटा दीपक पिता का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था।
यह ले बेटा..!देख कहीं भीगी तो नहीं..! दीपक पढ़ाई में बहुत तेज बच्चा था और पिता की मजबूरी को बखूबी समझता था।
इसलिए पुरानी पुस्तकों से पढ़ाई करता था।इस बार उसके पास विज्ञान की पुस्तक नहीं थी जो आज ठीक परीक्षा के एक दिन पहले उसे प्राप्त हुई।
नहीं बाबा..!पुस्तक पाकर दीपक बहुत खुश हुआ उसने रात-भर कड़ी मेहनत की, भगवान की कृपा से उसका पर्चा बहुत अच्छा गया।
एक महीने बाद.. आज परीक्षाफल घोषित होने वाला था। दीपक राजू का हाथ कसकर पकड़े अपना परिणाम घोषित होने का इंतज़ार कर रहा था।
प्रिंसिपल सर कक्षा में प्रवेश करते हैं, एक-एक सबके परिणाम बताते हैं।
जैसे उन्होंने कहा, दीपक ने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। तो राजू के आँखों से आँसू बहने लगे।
दीपक का एक ही लक्ष्य था उसे इंजीनियर बनना है। पुरानी पुस्तकों से पढ़ते हुए दीपक इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म कर नौकरी के लिए शहर चला जाता है।
अपने साथ माँ-बाप को भी ले जाता हैअगर पढ़ने की सच्ची लगन हो,मन में कुछ कर दिखाने का जज़्बा हो तो,अभावों में भी लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।
***अनुराधा चौहान***©स्वरचित लघुकथा✍
चित्र गूगल से साभार
सही कहा अनुराधा दी, जिसमें पढ़ने की लगन हैं वो विपरीत परिस्थितियों में भी पढ़ते हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योती बहन 🌹
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