आवाज़ ही पहचान है
हर भाव की हर घाव की
आवाज़ से पहचान है
हर किसी जज़्बात की
सुनाई दे जाती है हर आवाज़
जब कुछ टूट कर बिखरे
नहीं सुनाई देती है तो
जब दिल टूट कर बिखरे
तब दिल की आवाज़
दिल ही सुनता है
अपने घावों पर
खुद मरहम रखता है
कुछ अनकहे से दर्द
जब दे जातें हैं अपने
रोता है दिल जार जार
पर आवाज़ नहीं होती
बिखर जाते हैं मन के जज़्बात
पर आवाज़ नहीं होती
मृगमरीचका से रिश्तों के
पीछे हम जीवनभर भागते हैं
वोही छलावा निकल
दिल तोड़ जातें हैं
टूटा हो दिल भले मगर
पर आवाज़ नहीं होती
इशारों में होती है अलगाव की बातें
पर आवाज़ नहीं होती
***अनुराधा चौहान***
बहुत ही सुंदर रचना.. जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत खूब ,दर्द की आवाज नहीं होती ,
ReplyDeleteकुछ आवाजे ऐसी होती हैं ,जो सुनाई तो देती हैं पर आवाज नहीं होती
बहुत बहुत आभार रितु जी
Deleteबहुत सुन्दर अनुराधा जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया उर्मिला दी
Deleteवाह!!सखी ,बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी
Deleteबेहतरीन रचना आवाज ही पहचान है
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार इंदिरा जी
Deleteवाह बहुत खूब।
Deleteशीशा कहां है दिल मानिंद,
टूट कर शीशा
बिखने से पहले आवाज करता है
दिल बेचारा बिन सबब टूट के बिखर जाथा है।
अप्रतिम।
बहुत बहुत आभार सखी
Delete.....नहीं सुनाई देती है तो
ReplyDeleteजब दिल टूट कर बिखरे
तब दिल की आवाज़
दिल ही सुनता है
अपने घावों पर.....
बहुत ही गज़ब का लिखा आपने---बहुत ही गहन अनुभूति की सशक्त अभिव्यक्ति है इस रचना में---इस सफल रचना के लिए बधाई----अनकही बैटन का कहना और सुनना हर किसी के बस में भी कहाँ---- रेक्टर कथूरिया
धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत बहुत आभार श्वेता जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteधन्यवाद सुधा जी
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Deleteहर भाव की हर घाव की
ReplyDeleteआवाज़ से पहचान है
जी बहुत सुंदर भाव..
धन्यवाद आदरणीय
Deleteवो आवाजें जो होती नहीं हैं उनका शोर कहीं ज्यादा होता है ... बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीया
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