आज मुद्दतों बाद गुज़रे हम
फिर से तेरी गलियों में
तूने कहा था मत आना
रोक लिए कदम नहीं आए हम
पर इस पागल दिल को कैसे समझाएँ
देखने तेरी झलक हो रहा था पागल
सोचा तुझे भी तो इंतज़ार होगा
शायद तेरे दिल में मेरे लिए
अभी भी वहीं प्यार होगा
कह दिया नहीं आना
वो तेरी नाराज़गी रही होगी
मुझे देखने के लिए तू भी बेचैन होगी
गलतफहमी थी यह मेरी तुझे लेकर
तू खुश थी बहुत मुझे गम देकर
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
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