आसमां में मेघ टटोले
"नीला आकाश"दिखे सूना
"आखिर क्यों"सतावे बदरा
"दिल"को क्यों तरसावे बदरा
आ जाओ अब छा जाओ
मेघों पानी बरसा जाओ
हो"तेरी मेहरबानियाँ"अब
"बारिश"जम कर हो जाने दो
प्रभू"सावन को आने दो"
रिमझिम फुहारों के संग झूमकर
तन-मन को भीग जाने दो
मेघ मल्हार गाए झूमकर
टापुर टुपुर टपके बूँदे
सुन लो"धरती कहे पुकार के"
अब बरखा बहार आ जाओ
थक गई"आँखें" राह निहारे
"बादल"आएँ घिर-घिर जाएँ
"दामिनी" तड़के "दिल"घबराए
"आशा"की ज्योति मन में जगी
बैरी पवन फिर छलने लगी
"आँख-मिचौली"बहुत हुई अब
हो"बरसात"तो तपिश मिटे अब
***अनुराधा चौहान***
हार्दिक आभार श्वेता जी
ReplyDelete"आस का पँछी"इत-उत डोले
ReplyDeleteआसमां में मेघ टटोले
"नीला आकाश"दिखे सूना
"आखिर क्यों"सतावे बदरा
"दिल"को क्यों तरसावे बदरा।
बरखा को स्नेह मनुहार से आमंत्रित करती सुंदर अभिव्यक्ति।
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteवाह !! सुन्दर प्रयोग...फिल्मों के नामों को कितनी खूबसूरती से संजोया है आपने ... बहुत सुन्दर सृजन अनुराधा जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना जी
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