Sunday, April 21, 2019

हम किन‌ आँखों से रोएंँ


                         हम किन‌ आँखों से रोएंँ
तेरे संग ज़ीने-मरने के
ख्व़ाब सज़ा इन आँखों में
हम रातों को भी न सोए
हम किन‌ आँखों से रोएंँ
आँसुओं में बह अरमां
ग़र हम याद में तेरी रोए
हम किन आँखों से रोएंँ
मखमली अहसास बुने
कुछ फूल पलाश चुने
रात से चुराकर अंँधेरा
इन आँखों में काजल सजे
बह न जाए अरमां सिंदूरी
हम किन‌ आँखों से रोएंँ
मत रखो मुझसे तुम दूरी
तुम बिन हर चाहत अधूरी
हर आहट पर दिल धड़के
बार-बार मेरी आँख फड़के
पलकों में सपने सजाए
कहीं बह न जाए सपने
हम किन आँखों से रोएंँ
रात गुजारूं तारे गिन-गिन
मेरी हर दुआ में तू शामिल
पायल खनके ले तेरा नाम
चूड़ियां की खनक भेजे पैगाम
नैनों में भरी इंतज़ार की घड़ियांँ
हम किन‌ आँखों से रोएंँ
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

15 comments:

  1. बहुत खूब अनुराधा जी 👌👌

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  2. वाह लाजवाब गहरी दिल को छू गई रचना सखी आपकी।

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार सखी

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  3. मेरी हर दुआ में तू शामिल
    पायल खनके ले तेरा नाम
    चूड़ियां की खनक भेजे पैगाम
    नैनों में भरी इंतज़ार की घड़ियांँ
    हम किन‌ आँखों से रोएंँ...
    सुंदर लेखन व संवेदनशील पंक्तियाँ ।

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  4. सहृदय आभार यशोदा जी

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  5. वाहह्हह सुंदर अनुनय गीत..👌

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  6. वाह!!सखी ,बहुत सुंदर !

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  7. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  8. बहुत सुन्दर रचना...
    वाह!!!

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