स्पर्धा करो
चुनौतियों से टकराने की
मुश्किलों से डरकर
हार मत मानना कभी
मुश्किलों से डरकर
हार मत मानना कभी
स्पर्धा करो
हौसलों को कायम रख
मंज़िल को पाने के लिए
हौसलों को कायम रख
मंज़िल को पाने के लिए
नाकामियों से जीतने की
स्पर्धा करो
अच्छाई को अपनी बचाकर
मानवता के लिए
बुराई को हराने के लिए
मानवता के लिए
बुराई को हराने के लिए
स्पर्धा करो
दिलों को जीतने के लिए
सबको अपना बनाकर
दिलों को जीतने के लिए
सबको अपना बनाकर
नफ़रत से विजय पाने के लिए
स्पर्धा कभी
रिश्तों से नहीं करना
यहाँ इंसान
जीतकर भी हार जाता है
जीत लो
ज़िंदगी से खुशियों को
ज़िंदगी मौत की स्पर्धा में
मौत ही सदा
बाज़ी है जीतती
जीत लो दिलों को प्यार से
मोहब्बत और नफ़रत
की स्पर्धा में
मोहब्बत
नफ़रत पर भारी है
अपनों का कभी
दिल मत तोड़ो
आज के दौर में
मतलब रिश्तों पर भारी है
सच्चाई, प्रेम
और ईमानदारी से
जिसने सबके
दिलों में जगह बनाई
ज़िंदगी की स्पर्धा में
उसने जीत ली दुनिया सारी
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत सुंदर प्रेरित करती रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ऋतु जी
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