Monday, July 8, 2019

कालिंदी अंतिम भाग

मुग्धा गगन से मिलकर कालिंदी के पास चली जाती है। गगन वापस अपने घर आज बहुत सुकून महसूस कर रहा था गगन कोई तो है जिसने उसके दिल का दर्द समझा।
कहाँ रह गई थी... कौन था वो... इतनी देर क्यों लगी आने में.. अरे अरे रुक तो सही साँस तो लेने दे।
कोई नहीं था जब पार्किंग एरिया में पहुँची तो वो कार में नहीं था वॉचमैन से पूछा उसने जिधर बोला उधर देखने गई वहाँ कोई नहीं था,वापस आई तो कार भी नहीं थी उसे शायद पता चल गया कि हमें उस पर शक हो गया है।
अच्छा है खुद ही चला गया...चल शापिंग करते हैं मुग्धा मन ही मन माफ़ करना कालिंदी मैंने तुझसे झूठ बोला सच बताती तो पता नहीं तू कैसे रिएक्ट करती।जब तू खुद गगन से मिलने के लिए बेताब होगी तब वह तेरे सामने होगा मेरा वादा है खुद से और गगन से।
रात के नौ बजे थे मुग्धा अपने पापा की गाड़ी से कालिंदी को घर छोड़कर अपने घर के लिए निकल जाती है।घर पर माँ उसका इंतज़ार कर रही थी बिट्टू सो गया था।
माँ बिट्टू ने परेशान तो नहीं किया.. परेशान तो नहीं किया पर बार-बार तुझे पूछ रहा था। मुग्धा ने प्यार से बिट्टू का माथा चूमा और माँ के साथ बैठक में आ गई।
माँ कॉफी पीने का मन कर रहा है आप पियोगी....हाँ बना ले गायत्री बहन कैसी हैं अब सब ठीक है।
सब ठीक है नंदा,मुक्ता भी नौकरी करने लगी हैं अंकल भी पूरी तरह स्वस्थ हो गए हैं।
जानकर खुशी हुई और कालिंदी....उसकी शादी के बारे में करता सोचा उन्होंने... मुग्धा कॉफी लेकर आ जाती है।माँ कालिंदी,गगन के अलावा किसी और से शादी नहीं करना चाहती।
ऐसे कब तक बैठी रहेगी कालिंदी तूने समझाया नहीं आखिर छोटी बहनों की शादी भी तो करनी है गायत्री जी को।गगन  शादी कर चुका होगा नहीं तो क्या लौटकर नहीं आता ।
नहीं माँ गगन ने भी शादी नहीं की वो मजबूर है नहीं तो अब-तक लौट आता कालिंदी ने कसम जो दे रखी है।
तुझे कैसे पता यह सब... तू मिली उससे... हाँ आज... फिर मुग्धा ने माँ को सारा सच बता दिया।
तो क्या सोचा इस बारे में कैसे मिलाएगी.... पता नहीं माँ सब सिर के ऊपर से जा रहा है पर कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा दोनों ही मेरे बेस्ट फ्रेंड है।
मैं सोने जा रही हूँ रात बहुत हो गई अभी सो जाओ कल बात करेंगे इस बारे में..हम्म ठीक है माँ..तभी मुग्धा के मोबाइल पर विकास का फोन आता है।
किसका फोन है... विकास का माँ...आप जाओ मैं बात करके आती हूँ.. हैलो.. हैलो..क्या हैलो.. डियर सूखा-सुखा हैलो माँ के घर जाकर पतिदेव को भूल गई।
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है मैं खुद इस समय बहुत कमी महसूस कर रही हूँ तुम्हारी..क्यों क्या हुआ बिट्टू तो ठीक है माँ-पापा..? वो सब ठीक वो मेरी सहेली कालिंदी..हाँ क्या हुआ उसे..बताती हूँ सुनो...सारी बात जानकर ओह यह बात है फिर क्या सोचा कैसे मिलवाओगी।
पता नहीं कुछ आइडिया ही नहीं मिल रहा.. अभी सो जाओ सुबह सोचना शांति से और मैडम जी कालिंदी के प्रेम में पति का जन्मदिन याद है या भूल गई परसों आ रही हो न वापस या मुझे अकेले जन्मदिन मनाना पड़ेगा।
मिल गया आइडिया....यह पहले दिमाग में क्यों नहीं आया..ग्रेट मुग्धा तू ग्रेट है.. मैडम अकेले ही खुश होती रहोगी या हमें कुछ बताओगी.. क्या आइडिया मिला..? तुम्हारा जन्मदिन हाँ तुम्हारे जन्मदिन पर हम मिलवाएंगे दोनों को तुम दोगे न मेरा साथ.. हम जन्मदिन की पार्टी माँ के यहाँ रखें और.... वाह आइडिया तो अच्छा है मैं तैयार हूँ अच्छा अभी सो जाओ।
सुबह-सवेरे माँ...!आज विकास आने वाले हैं.. रात को मैंने उन्हें सारी बातें बताई..कल जन्मदिन है उनका और मैंने विकास ने यह तय किया है कि....ओह वाह क्या बात है बहुत बढ़िया सोचा तो देर किस बात की शुरू कर दे तैयारी।
बस माँ नंदा और मुक्ता आ जाएँ हमारी फैमिली, कालिंदी की फैमिली और गगन की फैमिली के सदस्य रहेंगे और कोई नहीं होगा।
एक मिनट मुग्धा गगन की फैमिली पर वो तो अकेला था ना... फिर यह फैमिली..? अरे माँ फिर गगन ने जो कुछ बताया मुग्धा माँ को बताती है।
गगन है ही इतना नेकदिल गायत्री जी समय पर उसे समझ नहीं पाईं। थोड़ी देर में नंदा और मुक्ता आ जाते हैं जन्मदिन की तैयारी मैं जुट जाते हैं सारी तैयारियाँ करने के बाद।
अच्छा दी..अब चलते हैं कल सुबह जल्दी आकर पूरी सजावट करते हैं।बाय दी..बाय आंटी.. नंदा सुनो कालिंदी को कुछ मत कहना मुग्धा ने पीछे से आवाज देकर कहा।
आज सुबह से ही चहल-पहल थी कालिंदी भी मदद के लिए आ गई थी। पार्टी की तैयारियाँ हो चुकी विकास भी आ गया था हँसी-मजाक के दौर चल रहा था।
दिन निकल गया विकास की फैमिली भी आ गई थी। कालिंदी के माता-पिता भी आ गए थे। गगन भी कीर्ति जी और गौरव जी के साथ आया पर कालिंदी,गगन को न देख पाए इसलिए पास के रूम में उसे रुकने को कहा।
कालिंदी हल्के पिंक कलर का सूट पहने खुले बालों में बेहद खूबसूरत लग रही थी।पर चेहरे पर हल्की-सी उदासी की झलक भी स्पष्ट दिखाई दे रही थी। आज़ कालिंदी को बहुत बेचैनी महसूस हो रही थी वो खिड़की में आकर खड़ी हो जाती है।
मुग्धा आती है क्या हुआ कालिंदी यहाँ क्यों खड़ी चल केक काटने का समय हो गया सब आ गए।
सॉरी मुग्धा पर न जाने क्यों मुझे गगन का एहसास हो रहा है जैसे वो यहीं कहीं है.. मेरे करीब..बस सामने नहीं आ रहा..यह तेरा वहम है ऐसा कुछ नहीं चल विकास इंतज़ार कर रहे हैं।
केक कटने के बाद सब विकास को शुभकामनाएँ देते हैं पर कालिंदी अपने में ही खोई गुमसुम-सी बैठी थी।क्या
हुआ साली साहिबा.. नाराज़ हैं क्या मुझसे आपने तो मुझे जन्मदिन की शुभकामनाएँ भी नहीं दी।
कालिंदी चौंक कर वो माफ़ करना मेरा ध्यान... बहुत बहुत शुभकामनाएँ जीजू..अब शुभकामनाओं से काम नहीं चलेगा आपको कोई गीत गाना पड़ेगा आपकी यही सजा है।
मैं... गीत नहीं-नहीं.. मुझे नहीं आता मुग्धा बोलो.. मुग्धा ने ही बताया तुम बहुत अच्छा गाती हो।सब गाने के लिए जोर देने लगते हैं।
कालिंदी बहुत बेचैन हो रही थी गगन के लिए उसे गगन के अपने करीब होने का एहसास हो रहा था।
लाइट्स ऑफ हो जाती हैं सिर्फ एक गोल लाइट कालिंदी के ऊपर थी मुग्धा गगन को लेकर आ जाती है कालिंदी अंधेरे के कारण उसे देख नहीं पाती।गाना शुरू होता है.…

क्यों होता है मुझे बार-बार
तू पास है मेरे यह एहसास
ख्यालों में तेरे डूबी रहती हूँ
हर पल तुझे ही खोजती हूँ
ख़ामोशियाँ यह कहती बार-बार
तू दूर नहीं यहीं है मेरे पास
तेरी बातें तेरी यादें
तेरी नजदीकियों का एहसास
आजा आजा बस एक बार एक बार
देख लूँ तुझे जी भरकर एक बार
मेरी हर कसम से तू आजाद
आजा.. कालिंदी बीच में ही रुक जाती है उसका दर्द आँसुओं में बहने लगता है तभी...
तेरी आँखों में आँसू
मुझे अच्छे नहीं लगते... गगन यह तो गगन की आवाज़ है कालिंदी चौंक कर इधर-उधर देखने लगती पर अंधेरे में कुछ नहीं दिखाई देता बस गाने की आवाज़ आती है।

तेरी आँखों में आँसू
मुझे अच्छे नहीं लगते
तू जो हँसती है तो
फूल चमन में खिलते हैं
तेरे होने से मैं, मेरे होने से तू
दो जिस्म एक जान है हम
तू इस दिल की धड़कन है
अब तो मान लें बस एक बार
कहदो,कहदो बस एक बार
करती हो मुझसे अब भी प्यार..…
गगन कालिंदी के समीप जाकर घुटने के बल बैठ कर पूछता है "विल यू मैरी मी"लाइट्स ऑन हो जाती है कालिंदी एकटक गगन को देखती रह जाती है।
बोलो न कालिंदी... मुझसे शादी करोगी... कालिंदी चुप रहती है वो तो बस गगन को ही देखे जा रही थी। तभी चुलबुली नंदा पास आकर बोली दीदी हाँ कर दो वरना मैं अपना हाथ आगे कर दूँगी।
कालिंदी ने शरमाकर हाथ आगे बढ़ा दिया गगन ने रिंग पहना दी।सब तालियाँ बजाने लगे कालिंदी और गगन ने सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया। कालिंदी मुग्धा के गले लग जाती है।थेंक यू मुग्धा मुझे मेरी ज़िंदगी से मिलाने के लिए।
गायत्री ने दोनों बच्चों को जी भर कर आशीर्वाद दिया शुभ मुहूर्त में दोनों की शादी हो गई कालिंदी गगन की दुल्हन बनकर कीर्ति और गौरव के साथ उनके घर में रहने लगी।
***अनुराधा चौहान***स्वरचित


6 comments:

  1. सुन्दर भावों से सजी आपकी कहानी *कालिंदी* अनुराधा जी मैंने आपकी प्रस्तुति के सभी भाग पड़े
    कई उतार -चड़ाव के बाद कहानी का सुखद अंत हुआ
    अंत भला तो सब भला

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    1. आपने "कालिंदी"के सभी भाग पढ़ें आपका बहुत बहुत आभार ऋतु जी

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  2. सुखांत¡¡ कहानी बहुत अच्छी लगी आप नग्मे भी लिख लेते हो सरस है।

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  3. वाह!!सखी ,बहुत ही खूबसूरत कहानी ,सुखद अंत के साथ और गीत तो बहुत ही खूबसूरत लिखा है आपने !!!

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार

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