कालिंदी को शापिंग मॉल के अंदर जाने के लिए कहकर मुग्धा पार्किंग एरिया में पहुँची तो देखा कार ख़ाली थी और लॉक थी।कहाँ गया अभी तो गाड़ी में ही था... वॉचमैन... सुनो.. जी मैडम जी कहिए...आप बता सकते हो..अभी-अभी इस गाड़ी में जो साहब थे वो किधर गए।
जी मैडम वो क्या खड़े हैं उधर... कौन जो फोन पर बात कर रहे हैं वो.. जी हाँ वही है। ओके थेंक यूँ.. गगन फोन पर बात करने में मगन, मुग्धा की ओर पीठ करके खड़ा था, इसलिए मुग्धा को देख नहीं पाया ना ही मुग्धा गगन को मुग्धा उसकी तरफ़ बढ़ती है।
ऐ मिस्टर सुनिए... मैं आपसे ही बोल रही हूँ...गगन ने बिना देखे ही रुकने का इशारा किया और बात करने में व्यस्त रहा।यह देख मुग्धा को गुस्सा आया वो सीधे गगन के सामने आकर बोली तुम्हारी क्या प्राब्लम है क्यों मेरी सहेली का पीछे लगे हो,और तो और पीछा करते हुए यहाँ..... मुग्धा गगन को पहचानते हुए बोलते-बोलते रुक गई उसकी आँखों में नमी तैरने लगी।
एक मिनट मैं आपसे बाद में बात करता हूँ। गगन कुछ क्षण तक मुग्धा को देखता रह गया। मुग्धा तू.. गगन तुम... फिर दोनों एक-दूसरे के गले लग गए। कैसी है.. बढ़िया हूँ देख लो हँसकर मुग्धा ने कहा फिर थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद,एक बात पूछूँ गगन..हम्म... तुम कालिंदी को छुप-छुपकर क्यों देखते हो सामने आकर बात क्यों नहीं करते।
कालिंदी की कसम रोके है मुझे...गगन नम आँखों से बोला.. बहुत इंतज़ार कर लिया मैंने मुग्धा अब इंतज़ार नहीं होता.. मिलना चाहता हूँ उससे,उसे गले लगाना चाहता हूँ उसने बहुत आसानी से कह दिया था,अपनी दुनिया बसा लो मुझे भूल जाओ.. मेरी तो दुनिया ही वहीं है जहाँ कालिंदी है।
इसी आस में रोज गुजरता हूँ कालिंदी मुझे आवाज़ देकर रोक ले।ओह यह बात है..पर कालिंदी तो अपने गगन का इंतजार कर रही है।
यह गगन तो एकदम अलग है। मैं भी तुम्हें एक बार में पहचान ही नहीं पाई थी,तो फिर कार के आधे खुले ग्लास के पीछे बैठे यह काले चश्मे वाले को कालिंदी कैसे पहचानें भला कि उसे देखने वाला उसका गगन है वो गगन जो सीधा-साधा साधारण कपड़े पहनने वाला साधारण इंसान था।
तुम तो फिल्मी हीरो जैसे बन गए,यह चमत्कार कैसे हुआ.. मुझे जानना है..बताता हूँ बहुत लंबी कहानी है।गगन कालिंदी से अलग होने से लेकर आज तक की सारी कहानी सुनाता है। मुग्धा की आँखों से आँसू बहने लगे, ऐसा प्यार तो कहानियों में पढ़ा था आजतक आज़ देख भी लिया।
मिलोगे कालिंदी से...? अंदर मेरा इंतजार कर रही है... नहीं जब-तक कालिंदी खुद अपने प्यार का इजहार नहीं करती तब-तक नहीं मुझे मेरी वही कालिंदी चाहिए जो मेरे लिए सब-कुछ छोड़कर भागने वाली थी।
तभी मुग्धा के फोन पर कालिंदी का फोन आता है एक मिनट में आई कालिंदी..... कालिंदी मेरा इंतज़ार कर रही है.. मैं चलती हूँ गगन..अब तुम दोनों को मैं मिलवाऊँगीं मेरा वादा है मुझे अपना नंबर दे देदो अब मैं इस शहर से तभी जाऊँगी जब मेरे दोनों बेस्ट फ्रेंड एक हो जाएंगे बाय गगन जल्दी मुलाकात होगी... मुग्धा शापिंग मॉल के अंदर चली गई।.... क्रमशः
***अनुराधा चौहान***
जी मैडम वो क्या खड़े हैं उधर... कौन जो फोन पर बात कर रहे हैं वो.. जी हाँ वही है। ओके थेंक यूँ.. गगन फोन पर बात करने में मगन, मुग्धा की ओर पीठ करके खड़ा था, इसलिए मुग्धा को देख नहीं पाया ना ही मुग्धा गगन को मुग्धा उसकी तरफ़ बढ़ती है।
ऐ मिस्टर सुनिए... मैं आपसे ही बोल रही हूँ...गगन ने बिना देखे ही रुकने का इशारा किया और बात करने में व्यस्त रहा।यह देख मुग्धा को गुस्सा आया वो सीधे गगन के सामने आकर बोली तुम्हारी क्या प्राब्लम है क्यों मेरी सहेली का पीछे लगे हो,और तो और पीछा करते हुए यहाँ..... मुग्धा गगन को पहचानते हुए बोलते-बोलते रुक गई उसकी आँखों में नमी तैरने लगी।
एक मिनट मैं आपसे बाद में बात करता हूँ। गगन कुछ क्षण तक मुग्धा को देखता रह गया। मुग्धा तू.. गगन तुम... फिर दोनों एक-दूसरे के गले लग गए। कैसी है.. बढ़िया हूँ देख लो हँसकर मुग्धा ने कहा फिर थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद,एक बात पूछूँ गगन..हम्म... तुम कालिंदी को छुप-छुपकर क्यों देखते हो सामने आकर बात क्यों नहीं करते।
कालिंदी की कसम रोके है मुझे...गगन नम आँखों से बोला.. बहुत इंतज़ार कर लिया मैंने मुग्धा अब इंतज़ार नहीं होता.. मिलना चाहता हूँ उससे,उसे गले लगाना चाहता हूँ उसने बहुत आसानी से कह दिया था,अपनी दुनिया बसा लो मुझे भूल जाओ.. मेरी तो दुनिया ही वहीं है जहाँ कालिंदी है।
इसी आस में रोज गुजरता हूँ कालिंदी मुझे आवाज़ देकर रोक ले।ओह यह बात है..पर कालिंदी तो अपने गगन का इंतजार कर रही है।
यह गगन तो एकदम अलग है। मैं भी तुम्हें एक बार में पहचान ही नहीं पाई थी,तो फिर कार के आधे खुले ग्लास के पीछे बैठे यह काले चश्मे वाले को कालिंदी कैसे पहचानें भला कि उसे देखने वाला उसका गगन है वो गगन जो सीधा-साधा साधारण कपड़े पहनने वाला साधारण इंसान था।
तुम तो फिल्मी हीरो जैसे बन गए,यह चमत्कार कैसे हुआ.. मुझे जानना है..बताता हूँ बहुत लंबी कहानी है।गगन कालिंदी से अलग होने से लेकर आज तक की सारी कहानी सुनाता है। मुग्धा की आँखों से आँसू बहने लगे, ऐसा प्यार तो कहानियों में पढ़ा था आजतक आज़ देख भी लिया।
मिलोगे कालिंदी से...? अंदर मेरा इंतजार कर रही है... नहीं जब-तक कालिंदी खुद अपने प्यार का इजहार नहीं करती तब-तक नहीं मुझे मेरी वही कालिंदी चाहिए जो मेरे लिए सब-कुछ छोड़कर भागने वाली थी।
तभी मुग्धा के फोन पर कालिंदी का फोन आता है एक मिनट में आई कालिंदी..... कालिंदी मेरा इंतज़ार कर रही है.. मैं चलती हूँ गगन..अब तुम दोनों को मैं मिलवाऊँगीं मेरा वादा है मुझे अपना नंबर दे देदो अब मैं इस शहर से तभी जाऊँगी जब मेरे दोनों बेस्ट फ्रेंड एक हो जाएंगे बाय गगन जल्दी मुलाकात होगी... मुग्धा शापिंग मॉल के अंदर चली गई।.... क्रमशः
***अनुराधा चौहान***
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