Wednesday, July 3, 2019

कालिंदी भाग (3)

पिछले भाग में आपने पढ़ा जयंत कालिंदी को देखने आने वाला है पर कालिंदी किसी और मंज़िल की तलाश में निकल पड़ी है।
अब आगे....
कालिंदी स्कूटी लेकर अपने कॉलेज के लिए निकल जाती है और सीधे प्रिंसिपल मैडम से मिलने पहूँचती है।
मैं अंदर आ सकती हूँ मैम! अरे कालिंदी आओ बैठो कैसे आना हुआ ?मैम कल आपने फोन किया था मैं अपने सर्टिफिकेट लेकर आपसे मिलूँ अकाउंट टीचर की नौकरी के लिए?
ओह हाँ आओ बैठो मुझे तुम्हारे पिताजी के बारे मेें पता चला अब कैसी तबियत है उनकी ? जी मैम अभी तो कुछ सुधार नहीं हुआ डॉक्टर कह रहे हैं वक्त लगेगा पर ठीक हो जायेंगे।
और तुम अपनी एमकॉम की पढ़ाई छोड़ने की सोच रही हो क्यों?
मैम बाबा बीमार हैं ऊपर से नंदा,मुक्ता की पढ़ाई...हम्म इसलिए ही मैंने फोन किया था मुग्धा ने बताया मुझे। सुनो कालिंदी बीकॉम के अकाउंट टीचर अचानक नौकरी छोड़कर चले गए हैं । मैंने सोचा तुम हमेशा से कॉलेज में अकाउंट में अव्वल रही हो तुम्हें भी नौकरी जरूरत भी है और हमें भी एक शिक्षक की,अगर तुम पढ़ाने लगो तो तुम्हारी दोनों बहनों की भी पढ़ाई में रुकावट नहीं आएगी और हाँ एक साल की फीस भी माफ हो जाएगी,तुम्हारी पढ़ाई भी नौकरी के साथ-साथ पूरी हो जाएगी।
ओह मैम आपने तो मेरी मुश्किल हल कर दी आपसे मिलने के बाद मैं नौकरी की तलाश में जाने वाली थी बहुत-बहुत धन्यवाद मैम,सच मैं बता नहीं सकती मैं कितनी खुश हूँ । आप तो मेरे लिए भगवान बन गई थेंक यूं सो मच मैम
‌मैम कब से क्लास लेनी है.. आज़ से ही पढ़ाना शुरू कर दो। तुम्हें रागिनी सब समझा देगी यह लो मेरा लेटर उन्हें दे देना जी मैम आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
प्रिंसिपल के रूम से बाहर आकर कालिंदी ने रागिनी मैम से मिलकर क्लास का जानकारी ली आज कालिंदी के मन से एक बोझ हल्का हो गया था।
अभी क्लास शुरू होने में समय था कालिंदी कॉलेज की केंटीन के लगी बेंच पर बैठ गई।
कॉलेज में जब भी वक्त मिलता वह अक्सर गगन के साथ यहीं आ बैठती थी।गगन कालिंदी का सीनियर था कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के बाद यहीं अकाउंट पढ़ाने लगा था। अकाउंट टीचर तो गगन था यह ख्याल आते ही कालिंदी घबरा गई गगन ने नौकरी छोड़ दी क्यों ,किसलिए ? कहीं गगन यह शहर छोड़कर तो नहीं जा रहा यह ख्याल आते ही कालिंदी की आँखों में नमी तैरने लगी।
तभी किसी ने कंधे पर हाथ रखा बिना देखे ही कालिंदी के मुँह से निकला गगन..!! गगन ही था कालिंदी को देखकर मिलने आया था वो मैंने तुम्हें कॉलेज में आते देखा तो मिलने चला आया।
मुझे अकाउंट टीचर की जॉब के लिए प्रिंसिपल मेम ने बुलाया था अकाउंट टीचर की जगह ख़ाली है,मैं अकाउंट पढ़ाने लगूँ।
अररे.. वाह!! यह तो बहुत अच्छी बात है बधाई हो।
पर यह विषय तो तुम पढ़ाते थे न गगन कालिंदी ने गगन की आँखों में देखते हुए पूछा फिर तुमने अचानक नौकरी क्यों छोड़ दी ?
कालिंदी मैंने एक बड़ी कम्पनी से जॉब के लिए अप्लाई किया था वहाँ से फोन आया तो मैंने यह जॉब छोड़ दी गगन ने शून्य में देखते हुए कहा शायद कुछ छिपाना चाह रहा था इसलिए कालिंदी से नजर नहीं मिला पा रहा था।
कुछ देर मौन के बाद कालिंदी..हम्म कहो...मैं रात के विषय में कोई बात नहीं करूँगा,क्योंकि मुझे पता था तुम्हारा यही फैसला होगा पर उस समय तुम कुछ सुनने को तैयार नहीं थी। तुम कुछ कर न लो गुस्से में इसलिए मैंने तुम्हारी बात मान ली थी।
मुझे नहीं जानना तुम्हारे मन में क्या चल रहा है।पर जब तक ज़िंदगी है तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।बस यही कहने आया था चलता हूँ तुम्हारा हर फैसला मंजूर है मुझे कोई मदद चाहिए तो बताना।
गगन उठकर तेजी से चला जाता है कालिंदी को अपने आँसू दिखाकर कमजोर नहीं करना था कालिंदी डबडबाई आँखों से उसे जाते देखती रही। तभी घंटी बजने लगती है कालिंदी उठकर क्लास रूम में चली गई।
मेम मैं अंदर आ सकता हूँ..आओ गगन मेम आप कालिंदी को कभी मत बताना यह नौकरी मैंने उसके लिए छोड़ी है और उसकी बहनों की एक साल की फीस भर दी है। नहीं गगन मैंने कालिंदी को इस बारे में कुछ नहीं बताया.. मैं जानती हूँ वो बहुत स्वाभिमानी लड़की है और कितना भी परेशान रहेगी पर किसी से कोई भी मदद नहीं लेगी ..तुम इस बात की चिंता मत करो उसे कुछ पता नहीं चलेगा।
तुम बहुत अच्छे हो गगन और कालिंदी अकाउंट में बहुत ही होनहार अगर उसकी काबिलियत से बच्चों को कुछ सीखने मिले तो कॉलेज के लिए गर्व की बात होगी...जी धन्यवाद मेम मैं चलता हूँ।
गगन को कहीं से भी नौकरी के लिए फोन नहीं आया था उसने यह नौकरी कालिंदी के लिए छोड़ी थी और खुद अपने लिए नौकरी की तलाश में था
गगन नहीं चाहता था कालिंदी नौकरी के लिए इधर-उधर भटकती फिरे और कोई उसकी मासूमियत का फायदा उठाने की कोशिश करे।
उधर घर पर दीदी (कालिंदी की मौसी) अपने देवर को लेकर आ चुकी थी। गायत्री,नंदा,मुक्ता बार-बार कालिंदी का फोन लगा रहे थे कालिंदी ने फोन स्विच ऑफ कर पर्स में रख दिया।
क्लास" ए" में लेक्चर खत्म करने के बाद कालिंदी क्लास" बी "को पढ़ाकर कालिंदी मुग्धा के घर के लिए निकल गई।
मुग्धा कालिंदी की बचपन की सहेली थी जब से बाबा बीमार हुए वो मुग्धा साथ ही बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी थी। मुग्धा शौकिया तौर और कालिंदी मजबूरी में... परिवार की ज़रूरतें जो पूरी करने थी। अरे कालिंदी तुम तो कल रात गगन के साथ..... क्रमशः
©अनुराधा चौहान✍

No comments:

Post a Comment