Saturday, October 13, 2018

तुझ से ही तुझ को चुरा लूं


हर लम्हे में तुझको बसा लूं

आ पलकों में अपनी छुपा लूं

गुम न हो जाए कहीं वजूद तेरा

तुझ से ही तुझ को चुरा लूं

उम्र का सफर अब गुजरने लगा

तेरे एहसास को सांसों में बसा लूं

मोहब्बत मोहताज नहीं उमर की

चल संग तेरे हसीन लम्हें बिता लूं
***अनुराधा चौहान***

18 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना।लाजवाब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

      Delete
  2. वाह!!बहुत खूबसूरत रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार शुभा जी

      Delete
  3. बहुत ही सुन्दर

    ReplyDelete
  4. अनुग्रह के साथ समर्पिता का बोध कराती सुंदर रचना..

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार पम्मी जी

      Delete
  5. बहुत खूब अनुराधा जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार उर्मिला दी

      Delete
  6. बहुत सुंदर। वाह

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद आदरणीय जीवन जी

      Delete
  7. बहुत ही सुन्दर रचना सखी

    ReplyDelete