श्रम से सजे सुंदर जीवन
श्रम पर निर्भर है हमारा कल
श्रम से कुंदन बन चमके
हर स्वाभिमानी का व्यक्तित्व
परिश्रम सजग बनाता है
खुशहाली का सूरज लाता
उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर
जीवन में सफल बनाता
मेहनत से मिट्टी भी सोना
आलस्य से सोना भी खोता
अंत में दुखों का दुखड़ा रोता
श्रम से रहते सदा प्रगतिशील
सपनों को करते वो साकार
श्रम से जीने की राह निकलती
भविष्य को हमारे उज्जवल करती
करते जो अथक परिश्रम
तो पर्वत से राह निकलती
कठिन नहीं डगर कोई भी
नहीं मुश्किल कोई मंज़िल
मेहनत से हर कुछ संभव है
ठान ली मन में कोई मंज़िल
मेहनत से न कोई कतराना
यह जीवन का है बड़ा खज़ाना
जिसने थामा श्रम का हथियार
उसके जीवन में सुख अपार
***अनुराधा चौहान***
सच कहा है ... मेहनत करने वाला सदा आगे जाता है ... ख़ुशहाल रहता है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है ...
धन्यवाद आदरणीय दिगंबर जी
Deleteबेहतरीन सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
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