Thursday, October 4, 2018

सफर जिंदगी का


जिंदगी के सफर में
न हो सच्चा हमसफर
बहुत मुश्किल होता है
जीवन का यह सफर
मिलते हैं सफर में फूल
तो मिलते हैं कांटे भी
मीत मिले मन का
तो सुख-दुख आपस में बांटे भी
खड़ी हो जाती है जिंदगी
सफर में दोराहे पर
कहां से शुरू हो फिर
जो पंहूचा दे मंजिल पर
हर डगर आसान मिले
यह तो जरूरी नहीं
टूट कर संभल जाना
जीवन की रीत यही
धूप छांव जीवन के
हर डगर पर मिलती है
जब तक जिंदगी जाकर
मौत से नहीं मिलती है
होता है सफर पूरा
छूट जाते है रिश्ते
सिर्फ कर्म ही इंसान के साथ है जाते
तय करो प्यार से सफर
जब तक है जिंदगी
बाद में तो सिर्फ इंसान के नाम ही रह जाते
***अनुराधा चौहान***

13 comments:

  1. जीवन है तो इसका सफ़र भरपूर रहना चाहिए ...
    वर्ना साँसें चूक जाएँ तो बस अंतिम सफ़र रहता है ...

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  2. धन्यवाद अमित जी

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी

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  4. बहुत सुंदर बात कही सखी आपने ।
    सौगात है जिंदगी स्नेह से समेट लो
    पयार से संवार लो नेह से बांध लो ।
    वाह।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  5. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सखी

    टूट कर संभल जाना
    जीवन की रीत यही

    बेहतरीन

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  6. सिर्फ कर्म ही इंसान के साथ है जाते
    तय करो प्यार से सफर
    जब तक है जिंदगी
    बाद में तो सिर्फ इंसान के नाम ही रह जाते
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,अनुराधा दी।

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योती जी

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  7. सिर्फ कर्म ही इंसान के साथ है जाते
    तय करो प्यार से सफर
    जब तक है जिंदगी
    बाद में तो सिर्फ इंसान के नाम ही रह जाते... सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत आभार आपका

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