जिंदगी के सफर में
न हो सच्चा हमसफर
बहुत मुश्किल होता है
जीवन का यह सफर
मिलते हैं सफर में फूल
तो मिलते हैं कांटे भी
मीत मिले मन का
तो सुख-दुख आपस में बांटे भी
खड़ी हो जाती है जिंदगी
सफर में दोराहे पर
कहां से शुरू हो फिर
जो पंहूचा दे मंजिल पर
हर डगर आसान मिले
यह तो जरूरी नहीं
टूट कर संभल जाना
जीवन की रीत यही
धूप छांव जीवन के
हर डगर पर मिलती है
जब तक जिंदगी जाकर
मौत से नहीं मिलती है
होता है सफर पूरा
छूट जाते है रिश्ते
सिर्फ कर्म ही इंसान के साथ है जाते
तय करो प्यार से सफर
जब तक है जिंदगी
बाद में तो सिर्फ इंसान के नाम ही रह जाते
***अनुराधा चौहान***
जीवन है तो इसका सफ़र भरपूर रहना चाहिए ...
ReplyDeleteवर्ना साँसें चूक जाएँ तो बस अंतिम सफ़र रहता है ...
धन्यवाद आदरणीय
Deleteधन्यवाद अमित जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय लोकेश जी
Deleteबहुत सुंदर बात कही सखी आपने ।
ReplyDeleteसौगात है जिंदगी स्नेह से समेट लो
पयार से संवार लो नेह से बांध लो ।
वाह।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सखी
ReplyDeleteटूट कर संभल जाना
जीवन की रीत यही
बेहतरीन
धन्यवाद सखी
Deleteसिर्फ कर्म ही इंसान के साथ है जाते
ReplyDeleteतय करो प्यार से सफर
जब तक है जिंदगी
बाद में तो सिर्फ इंसान के नाम ही रह जाते
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,अनुराधा दी।
बहुत बहुत आभार ज्योती जी
Deleteसिर्फ कर्म ही इंसान के साथ है जाते
ReplyDeleteतय करो प्यार से सफर
जब तक है जिंदगी
बाद में तो सिर्फ इंसान के नाम ही रह जाते... सुंदर रचना
बहुत बहुत आभार आपका
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